बलिया में पत्रकारों पर पुलिस अधीक्षक के नए नियमों पर विवाद, भारतीय मीडिया फाउंडेशन ने जताई आपत्ति! -ksfastnews

बृज बिहारी दुबे
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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में पुलिस अधीक्षक द्वारा पत्रकारों के लिए बनाए गए नए नियमों पर भारतीय मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक ए.के. बिंदुसार ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। बिंदुसार ने इन नियमों को पत्रकारों के बीच 'फूट डालो और राज करो' की नीति करार दिया है।
बलिया के पुलिस अधीक्षक ने हाल ही में एक निर्देश जारी किया था, जिसमें जिले के सभी पंजीकृत और मान्यता प्राप्त पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर थाने के अंतर्गत बैठकें करने और उनकी समस्याओं का निस्तारण करने का निर्देश दिया गया था। भारतीय मीडिया फाउंडेशन ने इस पहल का स्वागत किया, लेकिन साथ ही कुछ गंभीर आपत्तियां भी उठाई हैं।

*"व्यवहार न्याय संगत नहीं"*

ए.के. बिंदुसार ने कहा कि पुलिस अधीक्षक का यह व्यवहार प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के पत्रकारों के साथ सौतेला व्यवहार  है, जो न्याय संगत नहीं है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आदेश में केवल पंजीकृत और मान्यता प्राप्त पत्रकारों को ही शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि जो स्वतंत्र पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता और डिजिटल मीडिया के रिपोर्टर भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते हैं, उनके लिए कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया है।
बिंदुसार ने आरोप लगाया कि यह आदेश सिर्फ पत्रकारों के बीच भेदभाव पैदा करने और उन्हें विभाजित करने के लिए जारी किया गया है। उन्होंने मांग की कि पुलिस अधीक्षक को सबसे पहले जिले के सभी पत्रकारों की सही गणना करनी चाहिए। इसमें प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के साथ-साथ स्वतंत्र पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी शामिल किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि निर्देश जिले के सभी पत्रकारों के लिए होना चाहिए।
बिंदुसार ने कहा कि अगर पुलिस अधीक्षक सभी पत्रकारों को समान रूप से सम्मान और सुरक्षा नहीं देते हैं, तो यह पत्रकारिता की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर सीधा हमला होगा।


रिपोर्ट सिम्मी भट्टी

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