ओबरा, सोनभद्र - सोनभद्र जिले में हो रही मूसलाधार बारिश ने गरीब और बेसहारा परिवारों के लिए जीवन और भी कठिन बना दिया है। जिन परिवारों के पास पक्की छत नहीं है, उनके कच्चे और मिट्टी के घर या तो ढह गए हैं या फिर लगातार टपक रहे हैं। बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के कारण ये लोग अपने लिए पक्के मकान का सपना पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इस मुश्किल घड़ी में, ओबरा के पत्रकार अजीत सिंह ने एक मानवीय पहल करते हुए जरूरतमंदों तक राहत सामग्री पहुँचाने का बीड़ा उठाया है। सोनभद्र में लगातार हो रही बारिश से सबसे अधिक परेशानी उन लोगों को हो रही है जिनके घर कच्चे हैं। गर्मियों और सर्दियों में तो वे किसी तरह गुजारा कर लेते हैं, लेकिन मानसून आते ही उनकी मुश्किलें कई गुना बढ़ जाती हैं। इन परिवारों को अपनी टपकती छतों को बचाने के लिए तिरपाल और प्लास्टिक खरीदने के लिए अक्सर कर्ज तक लेना पड़ता है। उनकी इसी पीड़ा को समझते हुए पत्रकार अजीत सिंह ने मदद का हाथ बढ़ाया। पत्रकार अजीत सिंह ने अकेले नहीं, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों से सहयोग जुटाकर यह अभियान शुरू किया है। इस नेक काम में उन्हें विश्व हिंदू महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष सत्य प्रकाश पांडे और ओबरा नगर अध्यक्ष सर्वेश दुबे, भारतीय जनता पार्टी के ओबरा मंडल उपाध्यक्ष विकास सिंह, महामंत्री सरिता देवी, और मंत्री पुष्पा दुबे, रीता कुमारी महारुद्र सेवा समिति के प्रबंधक राम आश्रय बिंद और भारतीय मजदूर संविदा श्रमिक संगठन के उपाध्यक्ष रणजीत तिवारी और पत्रकार चरणजीत सिंह का साथ मिला है। यह टीम घर-घर जाकर गरीब, असहाय और दिव्यांग लोगों को 15x15 फीट की प्लास्टिक की तिरपाल दे रही है। यह तिरपाल उन लोगों के लिए एक बड़ी राहत है जिनकी छतें पानी से टपक रही हैं। यह सिर्फ एक प्लास्टिक की शीट नहीं, बल्कि बेसहारा लोगों के लिए सुरक्षा और सम्मान का प्रतीक बन गई है। केंद्र सरकार ने 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य 2022 तक सभी को पक्का घर उपलब्ध कराना था। उत्तर प्रदेश सरकार भी इस योजना की सफलता का दावा करती है। लेकिन, सोनभद्र की जमीनी हकीकत सरकारी दावों से बिल्कुल अलग है। आज भी हजारों ऐसे गरीब परिवार हैं जो एक पक्की छत के लिए संघर्ष कर रहे हैं।यह मानवीय पहल साबित करती है कि सरकारी योजनाओं के बावजूद, सामाजिक सहयोग और एकजुटता ही सबसे बड़ा सहारा होती है। यह अभियान न केवल तात्कालिक राहत दे रहा है, बल्कि समाज को यह भी संदेश दे रहा है कि असली मदद सरकारी वादों से नहीं, बल्कि आपसी सहयोग और इंसानियत से मिलती है।
रिपोर्ट सत्यदेव पांडे