भारत के प्रधान मंत्री मोदी जो अपने को प्रधानमंत्री ना कह कर भारत का प्रधान सेवक बोलते हैं। लेकिन इस प्रधान सेवक की एकदिवसीय बोधगया राजनीतिक यात्रा पर जिस तरीके से पैसे और संसाधन की दुरुपयोग की जा रही है,यह अपने आप में एक चिंतनीय विषय है। इस संबंध में कुछ विश्वस्त सूत्र से जानकारी प्राप्त हुई कि मोदी की इस एकदिवसीय दौरा पर लगभग एक सौ करोड़ रुपए की सरकारी राशि की व्यय हुई है। जिस विश्व विश्वविद्यालय परिसर में मोदी की सभा होनी है उसे परिसर की सभी हरे-भरे वृक्ष को काट दिया गया है,उस तरह की वृक्ष उगने में लगभग 50-60 साल की समय लगेगी यह अपने आप में पर्यावरण संतुलन पर एक जबर्दस्त प्रहार है वो भी मोदी की एक दिन की सभा को लेकर। प्रधान मंत्री की इस दौरे में भीड़ जुटाने के लिए शहर की सभी प्राइवेट स्कूलों की वाहन जब्त कर लिया गया है। प्रधान मंत्री मोदी की इस राजनीतिक दौरे के कारण पिछले एक सप्ताह से शहर की सभी शैक्षणिक व्यवस्था ठप्प है,आम नागरिकों को गंभीर यातायात संबंधी असुविधा हो रही है। मोदी की इस सभा में भीड़ जुटाने के लिए बिहार सरकार के मंत्री विधायक,पार्टी पदाधिकारी सभी लोग आम लोगों के घर जा जा कर लोगों को सभा में आने के लिए प्रेरित किया जा रहा है,ताकि मोदी की इस सभा में भीड़ जुटाया जा सके। जबकि इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देने वाले लोगों का कहना है कि मंत्री विधायक की सक्रियता कभी भी इस तरह से आम आदमी की समस्याओं एवं उनकी परेशानी को लेकर कभी नहीं रही जैसी आज मोदी की सभा को लेकर देखी जा रही है। आम आदमी को इन मंत्रियों से अपने काम के संबंध में मिलने में जूता टूट जाती है,वैसे मंत्री आज लोगों के घर पर पहुंच कर मोदी की सभा में आने के लिए आरजू विनती कर रहे हैं,ताकि समर्थकों की कृत्रिम भीड़ जुटाया जा सके। कुछ बौद्धिक लोगों का कहना था कि मोदी अगर लोकप्रिय नेता हैं,तो उनकी सभा में स्वयं लोग उपस्थित होते,न कि लोगों को मान मनौवल करके,पैसा पानी की तरह बहाकर लोगों को उनकी सभा तक ले जाने की कार्य किया जाता,जिससे ये साबित होता है कि मोदी की राजनीतिक साख और लोकप्रियता लोगों में न्यून हो रही है। लोगों का कहना है कि मोदी जी अपने को फकीर कहते हैं,आखिर ये कैसी फकीरी है कि अपनी एक दिन की राजनीतिक सभा के लिए अस्सी से सौ करोड़ रुपए जिसका उपयोग विकास संबंधी कार्यों में होता उसे फूंक दिया जा रहा है। इस राजनीतिक और चुनावी सभा को सम्पन्न करवाने में जिले के सभी प्रशासनिक अधिकारियों,कर्मचारियों को लगा दिया गया है जिससे आम जनता की एक भी कार्यालय संबंधी कार्य नहीं हो रहा है,और पिछले एक महीने से ठप्प पड़ा है। प्रखंड से लेकर जिला स्तर तक आम जनता की सभी कार्यालय संबंधित कार्य ठप पड़ा हुआ है। क्या प्रधान मंत्री मोदी की यही सेवा गिरी है जनता के लिए?क्या इसी तरह का सेवक होना चाहिए देश और प्रांत में
रिपोर्ट अमरेंद्र कुमार