नई दिल्ली सीतापुर: मऊगंज जिले की ग्राम पंचायत सीतापुर और उसके आसपास के पहाड़ी इलाकों में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब वन विभाग के एक कर्मचारी दिनेश कुमार पटेल ने एक पत्रकार के साथ बदसलूकी की। यह घटना तब सामने आई जब पत्रकार दीपक गुप्ता ने क्षेत्र में हो रही अवैध गतिविधियों और वन विभाग की लापरवाही को उजागर किया।
पत्रकार के साथ हुए दुर्व्यवहार पर भारतीय मीडिया फाउंडेशन ने गंभीरता से लिया हैं, भारतीय मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक एके बिंदुसार ने दोषी वनकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की हैं।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश एवं डीजीपी उत्तर प्रदेश के निर्देश के बावजूद भी पत्रकारों का उत्पीड़न रुक नहीं रहा है।
बिंदुसार ने कहां की पत्रकारों के उत्पीड़न के खिलाफ और सड़कों को उतारकर के हमारा यूनियन और तमाम पत्रकार यूनियन जंग का ऐलान करेंगे।
उत्तर प्रदेश अब भ्रष्टाचार प्रदेश बनता चला जा रहा है
मामला तब शुनरू हुआ जब दीपक गुप्ता ने इलाके में ट्रैक्टरों की संदिग्ध आवाजाही और जंगल कटाई की खबरें प्रकाशित कीं। खबर के बाद वन विभाग के एसडीओ और अन्य अधिकारी मौके पर निरीक्षण के लिए पहुंचे। लेकिन वहां जो हुआ, उसने पत्रकारिता की मर्यादा पर सवाल खड़े कर दिए।
अधिकारी घटनास्थल पर मौजूद थे और दीपक गुप्ता उनसे बातचीत कर रहे थे। तभी वन विभाग का कर्मचारी दिनेश पटेल पत्रकार पर भड़क उठा और तैश में आकर चिल्लाने लगा, "ले लो मेरी नौकरी!" इस घटना को कैमरे में कैद कर लिया गया है, और इसका वीडियो अब पूरे जिले में चर्चा का विषय बन चुका है।
सूत्रों के अनुसार, दिनेश कुमार पटेल पिछले चार वर्षों से इसी क्षेत्र में पदस्थ है और उसकी भूमिका को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। बताया जाता है कि उसका सीधा संबंध कुछ अधिकारियों और एक 'संगठित रैकेट' से है, जो जंगल कटाई और अन्य संदिग्ध गतिविधियों में शामिल है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब भी कोई अधिकारी जांच के लिए आता था, तो उसकी सूचना पहले ही गांव में बैठे दलालों तक पहुंच जाती थी, जिससे कार्रवाई टल जाती थी।
यह भी जानकारी सामने आई है कि दिनेश पटेल दो मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल करता है। यदि उसके पिछले 15 दिनों की कॉल डिटेल्स की जांच की जाए तो पूरे रैकेट का पर्दाफाश हो सकता है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि मौके पर 7-8 और कर्मचारी मौजूद थे, तो दिनेश पटेल को ही पत्रकार की उपस्थिति से इतनी परेशानी क्यों हुई? क्या उसे डर था कि उसकी अवैध गतिविधियां सबके सामने आ जाएंगी? क्या यह पत्रकारों को डराने की एक सुनियोजित कोशिश थी?
इस घटना के बाद पत्रकार दीपक गुप्ता ने वरिष्ठ अधिकारियों और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि ऐसे भ्रष्ट और असंवेदनशील कर्मचारियों पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए ताकि वन विभाग की छवि को बचाया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि अगर देश का चौथा स्तंभ इस तरह अपमानित होगा, तो आम जनता की आवाज कौन उठाएगा? यह समय है कि सरकार और प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले।
रिपोर्ट करन छौकर