अयोध्या। मिल्कीपुर तहसील में अवैध वारिस प्रमाण पत्र जारी करने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। ग्राम पंचायत रामपुर जोहन पूरे मंनशा उपाध्याय का पुरवा निवासी प्रेम कुमारी, पत्नी स्वर्गीय सुनील कुमार उपाध्याय ने डीएम अयोध्या को सनसनीखेज आरोपों से भरा प्रार्थना पत्र सौंपकर तहसील प्रशासन में खलबली मचा दी है। पीड़िता का कहना है कि उसके पति की मौत के बाद वह अकेली अपने परिवार और अधिकारों के लिए लड़ रही है, फिर भी न्यायिक तहसीलदार ने उसकी आंखों के सामने उसके हक पर “अवैध तरीके से कब्जा” तक करा दिया।
प्रेम कुमारी का आरोप है कि 03 अगस्त 2021 को पति की मृत्यु के बाद वह तमाम सरकारी दस्तावेजों—आधार कार्ड, राशन कार्ड, पेंशन, परिवार रजिस्टर, मृत्यु प्रमाण पत्र—सभी में विधवा पत्नी के रूप में दर्ज है। लेकिन इसके बावजूद न्यायिक तहसीलदार मिल्कीपुर ने 11 नवंबर 2025 को उसकी अनुपस्थिति में उसकी ही पति की संपत्ति का वारिस उसके देवर के नाम कर दिया।
पीड़िता ने इसे “हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 का खुला उल्लंघन” बताते हुए कहा कि यह फैसला न सिर्फ गैरकानूनी है, बल्कि उसके वैधानिक अधिकारों की सीधी हत्या है। उसने आरोप लगाया कि पूरे मामले में “भारी भ्रष्टाचार और मिलीभगत की बू” आती है।
पीड़िता प्रेम कुमारी ने शिकायत में लिखा है—“मैं जिंदा हूं, विधवा हूं, और सभी कागजों में पहली श्रेणी की वारिस हूं, फिर भी मेरे हक को मेरे ही देवर के नाम कर दिया गया। यह मेरे अधिकारों पर डकैती है।”
प्रेम कुमारी का यह पत्र प्रशासनिक गलियारों में चर्चाओं का विषय बना हुआ है। उसने मांग की है कि—
● अवैध वारिस आदेश की उच्च स्तरीय जांच हो।
● संबंधित अधिकारियों को शासन स्तर पर तलब किया जाए।
● जांच पूरी होने तक संपत्ति पर रोक लगे।
● दोषी तहसीलदार के खिलाफ कार्रवाई हो।
● पति की संपत्ति उसे—एकमात्र वैधानिक वारिस—के नाम दर्ज कराई जाए।
दस्तावेजों सहित लगाए गए इन आरोपों ने पूरे तहसील प्रशासन को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस “वारिस प्रमाण पत्र घोटाले” पर क्या कदम उठाता है।
