(रिपोर्ट प्रेम प्रकाश शर्मा)
झारखंड धनबाद।दुर्गा पूजा , और दिपावली के दौरान घरों और बाजारों में मिठाइयों की खपत कई गुना बढ़ जाती है। त्योहार के अवसर में लोग एक-दूसरे को मिठाइयां गिफ्ट करते हैं, जिसमें खोया से बनी मिठाइयां सबसे ज्यादा होती हैं। डिमांड बढ़ने के कारण कुछ दुकानदार अधिक मुनाफा कमाने के लालच में सिंथेटिक या मिलावटी खोया बेचते हैं, जो सेहत के लिए बेहद नुकसान दायक होता है। इसे खाने से कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। मिलावटखोर सस्ता और नकली खोया बनाने के लिए खराब क्वालिटी का मिल्क पाउडर, टेलकम पाउडर और कई खतरनाक केमिकल्स मिलाते हैं। इसके अलावा खोया की मात्रा बढ़ाने के लिए उसमें सिंघाड़े का आटा, वनस्पति घी, मैदा और स्टार्च जैसी चीजों को मिलाते है। यह खोया देखने में असली लगता है, लेकिन स्वाद और उसकी पौष्टिकता में कमी रहती है। सवाल- मिलावटी खोया खाने से किस तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती हैं? जवाब-बाजार में मिलने वाले मिलावटी खोया में मौजूद केमिकल्स कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। स्टार्च और अरारोट से बना खोया पेट दर्द, अपच, एसिडिटी और डायरिया (दस्त) का कारण बन सकता है। वहीं बासी या खराब खोया खाने से फूड पॉइजनिंग हो सकती है। सिंथेटिक दूध और यूरिया वाले मिलावटी खोया के सेवन से लिवर और किडनी से जुड़ी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। असली मावा की हल्की सी मीठी और ताजी खुशबू होती है, जबकि नकली मावा में तेज गंध आ सकती है या फिर उसमें कोई खास खुशबू नहीं होगी। अगर मावा तेल जैसा या चिपचिपा लगे, तो समझ जाइए कि उसमें मिलावट हो सकती है।
हाथ से दबाकर करें टेस्ट
थोड़ा सा मावा लें और उंगलियों से दबाएं। असली मावा कि थोड़ा दानेदार और हल्का चिकनापन होगा, जबकि नकली मावा जरूरत से ज्यादा मुलायम और चिपचिपा महसूस होगा। केमिकल वाले रंग सस्ते होते हैं। इनका सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे आंखों में तेज जलन होती है। वहीं से एलर्जी होने की भी आशंका रहती है। इस लिए मिठाई ग्रिल करते समय पूरा सावधानी बरतनी चाहिए।
