भारतीय मीडिया फाउंडेशन (नेशनल ), ने हाल ही में एक बड़ा कदम उठाते हुए पत्रकारिता के क्षेत्र में हो रही कालाबाजारी और अवैध धन उगाही पर लगाम लगाने का फैसला किया है। यूनियन ने इस संबंध में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI), एवं केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार और समाचार पत्र पंजीयन कार्यालय को अवगत कराने का निर्णय है।
यूनियन का मानना है कि कुछ दैनिक, पाक्षिक और मासिक समाचार पत्र- पत्रिकाएँ पत्रकारिता के सिद्धांतों का उल्लंघन कर रही हैं। कुछ प्रकाशन अवैध रूप से प्रेस कार्ड जारी करके और पत्रकारिता की आड़ में लोगों से पैसे वसूलकर पेशे की गरिमा को ठेस पहुँचा रहे हैं। बीएमएफ नेशनल कोर कमेटी ने इन अवैध गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
बीएमएफ नेशनल कोर कमेटी के संस्थापक ए.के. बिंदुसार ने बताया कि उनकी यूनियन का मुख्य उद्देश्य उन सभी निष्पक्ष और स्वतंत्र पत्रकारों को एक मंच प्रदान करना है जो प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया में काम कर रहे हैं। इस मंच में सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि बीएमएफ ऐसे लोगों के खिलाफ है जो पत्रकारिता को एक व्यवसाय के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं और अवैध तरीकों से धन कमा रहे हैं।
बिंदुसार ने आगे कहा कि पत्रकारिता एक पवित्र पेशा है और इसे समाज की भलाई के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि जो लोग इस पेशे का दुरुपयोग कर रहे हैं, उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी ताकि पत्रकारिता के क्षेत्र में पारदर्शिता और ईमानदारी बहाल हो सके। यूनियन का यह कदम पत्रकारिता के गिरते मानकों को सुधारने और इस पेशे में विश्वास कायम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
उन्होंने कहा कि कुछ प्रकाशन उन व्यक्तियों को पत्रकार बनाती है प्रेस कार्ड जारी करती है जो कभी किसी यूनियन या मीडिया संगठन एवं मीडिया फाउंडेशन में काम नहीं किए हुए हैं कोई प्रशिक्षण प्राप्त नहीं है ऐसे लोग को डायरेक्ट प्रिंट मीडिया का प्रेस कार्ड जारी कर दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि मीडिया जगत में प्रिंट मीडिया अपने आप में महत्व रखता है और यह प्रमुख पत्रकारिता की स्रोत है।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि जो लोग किसी यूनियन से नहीं जुड़े होते हैं उन्हें पत्रकारिता का जरा सा भी ज्ञान नहीं है और वही लोग फेक वीडियो एवं फेक न्यूज़ को इधर-उधर करने का काम करते हैं।