सभी पुलिस थानों और चौकियों में शिकायतकर्ता को उसके प्रार्थना पत्र की एक प्राप्ति रसीद (रिसीविंग कॉपी) देना अनिवार्य किया जाए
एके बिंदुसार
संस्थापक भारतीय मीडिया फाउंडेशन नई दिल्ली।
मुख्य संयोजक- इंटरनेशनल मीडिया आर्मी।
नई दिल्ली:भारतीय मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक ए.के. बिंदुसार ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में व्याप्त भ्रष्टाचार, भू-माफियाओं के आतंक और प्रशासनिक लापरवाही को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने लखनऊ को 'भ्रष्टाचार की राजधानी' की संज्ञा देते हुए कई ज्वलंत मुद्दों पर प्रकाश डाला है। ये मुद्दे न सिर्फ आम नागरिकों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी को प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं।
लखनऊ की प्रमुख समस्याएं और उन पर बिंदुसार के आरोप--
1-सरकारी जमीनों पर भू-माफिया का कब्जा: लखनऊ में भू-माफियाओं का बोलबाला बढ़ता जा रहा है। ये माफिया सरकारी जमीनों और संपत्तियों पर अवैध रूप से कब्जा कर रहे हैं। आरोप है कि इस काम में प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत है, जिसके कारण इन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
2- तहसीलों में दस्तावेजों की हेराफेरी: तहसीलों में भूमि और राजस्व से जुड़े दस्तावेजों में बड़े पैमाने पर हेराफेरी और जालसाजी के मामले सामने आ रहे हैं। इससे आम जनता को अपनी जमीन-जायदाद से संबंधित कार्यों में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, और उन्हें न्याय पाने में भी दिक्कतें आ रही हैं।
3- शहर की बदहाल सड़कें और रास्ते: लखनऊ के कई मोहल्ले और ग्रामीण क्षेत्र आज भी बदहाल सड़कों और टूटे-फूटे रास्तों की समस्या से जूझ रहे हैं। ये बजबजाती सड़कें प्रशासन की अनदेखी और विकास कार्यों में हो रही अनियमितताओं को दर्शाती हैं।
4- पुलिस थानों में पीड़ितों की अनदेखी: पुलिस थानों में पीड़ितों की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। आरोप है कि मुकदमा दर्ज करने में आनाकानी की जाती है, जिससे पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाता और उन्हें दर-दर भटकना पड़ता है।
*तहसीलों में महिलाओं की आवाज दबाने का मुद्दा*
बिंदुसार ने खास तौर पर तहसीलों में महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव को भी उठाया है। उनका कहना है कि तहसीलों में औरतों की आवाज नहीं सुनी जाती, जिससे उनके अधिकार और समस्याएं अनदेखी का शिकार होती हैं। इसके पीछे सामाजिक रूढ़िवादिता, महिलाओं की कम भागीदारी, और प्रशासनिक व न्यायिक प्रणाली में व्याप्त भेदभाव को मुख्य कारण बताया गया है।
इस समस्या के समाधान के लिए महिलाओं के अधिकारों और उनकी समस्याओं के प्रति जागरूकता बढ़ाना और प्रशासनिक व न्यायिक प्रणाली में उनके प्रति भेदभाव को खत्म करना आवश्यक है।
*बिंदुसार की मांगें और सुधार के सुझाव*
इन समस्याओं को देखते हुए, ए.के. बिंदुसार ने सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने दो महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं:
1- शिकायत की रिसीविंग कॉपी अनिवार्य हो: सभी पुलिस थानों और चौकियों में शिकायतकर्ता को उसके प्रार्थना पत्र की एक प्राप्ति रसीद (रिसीविंग कॉपी) देना अनिवार्य किया जाए। इससे शिकायत दर्ज होने की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और पीड़ितों का पुलिस पर भरोसा बढ़ेगा।
2- सभी पुलिस चौकियों को रिपोर्टिंग चौकी घोषित किया जाए: बिंदुसार ने मांग की है कि प्रदेश की सभी पुलिस चौकियों को रिपोर्टिंग चौकी का दर्जा दिया जाए। इससे अपराध पर नियंत्रण होगा और पीड़ितों की समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर दर्ज किया जा सकेगा।
समस्याओं के समाधान हेतु सरकार की पहल
लखनऊ की इन समस्याओं के समाधान के लिए सरकार द्वारा कुछ कदम उठाए गए हैं, जो प्रदेशव्यापी हैं और लखनऊ के लिए भी प्रासंगिक हो सकते हैं:
3- भू-माफिया के खिलाफ कार्रवाई: भू-माफियाओं पर अंकुश लगाने के लिए सरकार अवैध कब्जों को हटाने के लिए अभियान चला रही है। इसके साथ ही, जमीन के रिकॉर्ड को डिजिटल बनाकर पारदर्शिता लाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं।
4- शिक्षा के स्तर में सुधार: शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए नए पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियां विकसित की जा रही हैं। शिक्षकों के प्रशिक्षण पर जोर दिया जा रहा है और छात्रों को बेहतर सुविधाएं देने के प्रयास हो रहे हैं।
5-महिला और बाल विकास: महिला सशक्तिकरण के लिए लखपति महिला योजना और उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनका लाभ लखनऊ की महिलाओं को भी मिल सकता है।
6- युवा विकास और स्वास्थ्य सेवाएं: स्वामी विवेकानन्द युवा सशक्तिकरण योजना के तहत युवाओं को टैबलेट और स्मार्टफोन दिए जा रहे हैं। आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य सुविधाएं और मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के तहत प्रतियोगी छात्रों को कोचिंग की सुविधा दी जा रही है।
ये योजनाएं और कार्यक्रम भले ही पूरे प्रदेश के लिए हों, लेकिन उनका सीधा प्रभाव लखनऊ के निवासियों पर भी पड़ता है। अब देखना यह होगा कि सरकार इन गंभीर आरोपों पर क्या कार्रवाई करती है और आम जनता को कब तक इन समस्याओं से निजात मिल पाती है।