रिपोर्ट सत्यदेव पांडे
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ओबरा और चोपन प्रशासन पर कड़ी टिप्पणी करते हुए उपजिलाधिकारी (SDM) ओबरा और थानाध्यक्ष (SHO) चोपन को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में हाज़िर होने का आदेश दिया है। मामला राजेश कुमार जायसवाल बनाम राज्य सरकार में दायर आवेदन U/S 528 BNSS से जुड़ा है।
न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की एकल पीठ ने कहा कि
सरकारी अधिवक्ता (AGA) द्वारा दी गई रिपोर्ट और
आवेदक द्वारा दाखिल किए गए अनुपूरक हलफनामे
के बीच गंभीर विरोधाभास पाया गया है। कोर्ट ने इसे महत्वपूर्ण बताते हुए संबंधित अधिकारियों को अगली तारीख पर अदालत में उपस्थिति अनिवार्य कर दी।
📅 अगली सुनवाई 25 नवंबर को दोपहर 2 बजे
कोर्ट ने मामले को 25 नवंबर 2025 को दोपहर 02:00 बजे "fresh" के रूप में सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है।
CJM को आदेश की सेवा सुनिश्चित करने का निर्देश
कोर्ट ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सोनभद्र को निर्देश दिया कि SDM ओबरा और SHO चोपन को आदेश की प्रति तत्काल उपलब्ध कराई जाए तथा पूरे प्रकरण का पालन-प्रेषण 48 घंटे के भीतर सुनिश्चित किया जाए।
रजिस्ट्री (कंप्लायंस) को भी निर्देश दिया गया है कि आदेश की कॉपी CJM सोनभद्र को समय पर भेज दी जाए।
📍 कोर्ट ने कौन-सा मुद्दा गंभीर माना?
कोर्ट ने टिप्पणी की कि AGA द्वारा पेश की गई जानकारी और आवेदक के सप्लीमेंट्री हलफनामे में गंभीर असंगति है, जिसे स्पष्ट किए बिना आगे कार्रवाई नहीं की जा सकती। इसी कारण दोनों अधिकारियों को हाज़िर होने का आदेश जारी हुआ।
