यह विपक्ष के लिए सबसे बड़ा सबक है।

बृज बिहारी दुबे
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विपक्ष EVM से हट कर अपने रणनीति पर काम करें।

यह विपक्ष के लिए सबसे बड़ा सबक है।

BJP का पूरा मॉडल सिर्फ चार शब्दों में लिखा जा सकता है: मेहनत ,संगठन, अनुशासन, और निरंतरता

बिहार में प्रचंड जीत मिली—फिर भी कोई बड़ा उत्सव नहीं, बंगाल की अगली तैयारी में लग गए

हरियाणा के नेता बंगाल में, राजस्थान के नेता बंगाल में।

यानी सत्ता किसी राज्य में हो या न हो,

जंग इनकी कभी रुकती नहीं।

विपक्ष की समस्या वहीं उलटी है—

वह चुनाव को एक इवेंट मानता है,

BJP चुनाव को एक इकोसिस्टम।

जहाँ विपक्ष सिर्फ छह महीने पहले पोस्टर बदलने लगता है,

वहाँ BJP तीन साल पहले

• बूथवार डेटा,

• स्थानीय नेटवर्क,

• जातीय क्लस्टर,

• महिलाओं के मुद्दे,

• धार्मिक-सांस्कृतिक आयोजनों

का नक्शा तैयार कर चुकी होती है।

इसीलिए BJP की हार भी अभियान बन जाती है

और जीत तो मशीन की तरह चलती है।

निष्कर्ष सीधा और कड़वा है:

जो पार्टी साल–बारह महीने जनता के बीच नहीं रहती,

वह सिर्फ नारों और प्रेस कॉन्फ्रेंस से चुनाव नहीं जीत सकती।

भारत में चुनाव वही जीतता है

जो वोट मांगने से पहले

वोटर को छूता है, देखता है, सुनता है, जोड़ता है।

और इस खेल में

BJP बहुत आगे है,

विपक्ष अभी भी स्टार्ट लाइन खोज रहा है।

...बिहार चुनाव सम्पन्न हुए...और इसके साथ ही भाजपा का चुनावी रथ पश्चिम बंगाल की ओर मुड़ गया...पश्चिम बंगाल का चुनावी गणित कुछ इस प्रकार है.....

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कुल सीट - 294

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* 150 सीट - 80% हिन्दू आबादी (20% मुस्लिम)

* 059 सीट - 66-80% हिन्दू (20-34% मुस्लिम)

* 031 सीट - 51-65% हिन्दू (35-49% मुस्लिम)

* 054 सीट - 25-50% हिन्दू (50-75% मुस्लिम)

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...........पिछले यानि 2021 के विधानसभा चुनाव में TMC ने 47% वोट के साथ 213 सीट जीती थीं....जबकि BJP ने 38% वोट के साथ 77 सीट जीती थीं.........अगर BJP को इस बार पश्चिम बंगाल मे TMC को हराना है तो उसे इस 9% के वोट गैप को भरना होगा....और अपने वोट % मे कम से कम 5% से 6% तक बढ़ाना होगा.........जोकि कोई बहुत मुश्किल काम नहीं है.....SIR और ममता सरकार की गिरती लोकप्रियता को देखते हुए इसे संभव बनाया जा सकता है.....

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......बंगाली खासकर हिन्दू बंगाली hyper Nationalist होते हैं....जरूरत उन्हें एकजुट करने की है और polling बूथ तक पहुंचाने की है.....मुस्लिम वोट जोकि ममता बनर्जी का पक्का वोटबैंक है....उसे तोड़ने के लिए ओवैसी की AIMIM काम आ सकती है....BJP और RSS को उन्हें फंडिंग करनी चाहिए ताकि वो ज्यादा से सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकें.........

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रिपोर्ट. राज कुमार उपाध्याय

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