वोट बैंक की राजनीति का अंत! पिछड़ा-दलित समाज अब 'व्यवस्था परिवर्तन' की लड़ाई लड़ेगा: भारतीय मतदाता महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मिंटू राजभर का बड़ा आह्वान

बृज बिहारी दुबे
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वाराणसी"वोट बैंक बनकर रहने को तैयार नहीं पिछड़ा और दलित समाज"

भारतीय मतदाता महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मिंटू राजभर ने समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि इन दलों ने पिछड़े, अति पिछड़े, दलित और अति दलित समाज को सिर्फ अपने वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया है। मिंटू राजभर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि इन राजनीतिक पार्टियों ने समाज के संवैधानिक अधिकारों पर 'डकैती' डाली है और इनका खून चूस-चूस कर इन्हें खोखला कर दिया है।
7 दशक बाद भी संवैधानिक अधिकारों से वंचित
राजभर ने कहा कि देश की आजादी को सात दशक से अधिक बीत चुके हैं, लेकिन आज भी पिछड़ा और दलित समाज अपने मूलभूत संवैधानिक अधिकारों से वंचित है। यह दर्शाता है कि सत्ता की बागडोर संभालने वाले दलों ने इन समाजों के उत्थान की बजाय केवल अपने राजनीतिक हितों को साधा है।
राजभर समाज के नाम पर सिर्फ धोखा
भारतीय मतदाता महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मिंटू राजभर ने विशेष रूप से राजभर समाज को संबोधित करते हुए कहा कि जाति के आधार पर कई नेताओं ने राजनीतिक दल बनाए। उन्होंने राजभर समाज को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया, सत्ताधारी पार्टियों से गठबंधन किया और फिरकापरस्त (सांप्रदायिक/विभाजनकारी) की राजनीति को बढ़ावा दिया।
> राजभर समाज को मुख्यमंत्री बनाने का सपना दिखाया गया, लेकिन परिणाम यह हुआ कि इन नेताओं ने खुद मंत्री बनकर अपने आप को मालामाल कर लिया, जबकि समाज की जनता फटेहाल रह गई। यह सिर्फ सपनों का व्यापार था, जिसका लाभ सिर्फ कुछ मुट्ठीभर नेताओं ने उठाया।
अब 'सत्ता परिवर्तन' नहीं, 'व्यवस्था परिवर्तन' की लड़ाई
मिंटू राजभर ने राजभर समाज सहित सभी पिछड़े, अति पिछड़े और दलित समाज के लोगों से जागरूक होने का आह्वान किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब हमें केवल 'सत्ता परिवर्तन' (एक पार्टी को हटाकर दूसरी को लाना) की पुरानी गलती नहीं दोहरानी है, बल्कि एक व्यापक और निर्णायक 'व्यवस्था परिवर्तन' की लड़ाई लड़नी होगी।
गरीबी मिटेगी और अधिकार मिलेगा
राजभर ने विश्वास दिलाया कि 'व्यवस्था परिवर्तन' की इस लड़ाई से ही समाज को सही मायने में उसका हक मिलेगा। उन्होंने कहा, "जब तक व्यवस्था नहीं बदलेगी, तब तक गरीबी नहीं मिटेगी और हमें अपना संवैधानिक अधिकार नहीं मिलेगा।" यह लड़ाई सिर्फ वोट देने तक सीमित नहीं है, बल्कि राजनीतिक चेतना, एकता और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने की है।
 भारतीय मतदाता महासभा से जुड़ें और अपने अधिकार की लड़ाई को मजबूत करें!

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