नई दिल्ली भारतीय मीडिया फाउंडेशन (नेशनल) की कोर कमेटी ने देश में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ा राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने का निर्णय लिया है। इस अभियान के तहत अब हर विभाग में सूचना का अधिकार (RTI) लगाया जाएगा और 1 नवंबर 2025 से दो सूत्रीय ज्ञापन महामहिम राष्ट्रपति महोदया को प्रेषित किया जाएगा।
1. कोर कमेटी का निर्णय और आगामी रणनीति
भारतीय मीडिया फाउंडेशन (नेशनल) की कोर कमेटी के केंद्रीय अध्यक्ष एवं संस्थापक, ए.के. बिंदुसार ने इस जन-जागरूकता और जवाबदेही अभियान की घोषणा की है।
- हर विभाग में RTI: संगठन ने अब हर सरकारी विभाग के कार्यों और वित्तीय हिसाब-किताब में पारदर्शिता लाने के लिए व्यापक स्तर पर RTI आवेदन दाखिल करने का निर्णय लिया है।
- राष्ट्रव्यापी ज्ञापन: 1 नवंबर 2025 से पूरे देश के जिला मुख्यालयों पर जिला अधिकारी (DM) के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति महोदया के नाम संबोधित एक दो-सूत्रीय ज्ञापन पत्र दिया जाएगा। यह कदम राष्ट्रव्यापी नीतिगत परिवर्तन के लिए दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है।
- RTI अधिनियम 2005 और धारा 4 पर जोर
ए.के. बिंदुसार ने इस बात पर जोर दिया कि सरकारी कार्यालयों को आचरण और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य किया गया है। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 आम जनता को सरकारी कार्यालयों के हिसाब-किताब की जानकारी प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है।
धारा 4: स्वैच्छिक प्रकटीकरण का महत्त्व
RTI अधिनियम की धारा 4 के अनुसार, सरकारी कार्यालयों को अपने कार्यों और निर्णयों को पारदर्शी बनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने होते हैं, जिसे 'स्वैच्छिक प्रकटीकरण' कहा जाता है:
सूचना का अधिकार: सरकारी कार्यालयों को आम जनता को जानकारी प्रदान करनी होती है।
धारा 4(1)(b) के तहत सार्वजनिक प्रकटीकरण: इसके तहत सरकारी कार्यालयों को स्वयं ही अपने कार्यों और निर्णयों की जानकारी सार्वजनिक (Proactive Disclosure) करनी होती है, जिसमें शामिल हैं:
1- कार्यालय के कार्य और जिम्मेदारियां।
2- अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम और पद।
3- कार्यालय का बजट और वित्तीय विवरण।
4-लिए गए निर्णय और जारी किए गए आदेश।
. सरकारी कर्मचारियों के लिए आचरण और जवाबदेही
संगठन ने याद दिलाया कि पारदर्शिता केवल RTI तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सरकारी कर्मचारियों के आचरण नियमों का भी हिस्सा है।
आचरण नियम: सरकारी कर्मचारियों के लिए विशेष आचरण नियम होते हैं, जो उन्हें अपने कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखने के लिए निर्देशित करते हैं।
अनुशासनात्मक कार्रवाई: इन नियमों का उल्लंघन करने पर संबंधित कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
कोर कमेटी का मानना है कि केवल कानून बना देना पर्याप्त नहीं है, बल्कि सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को इन नियमों का पालन करने के लिए बाध्य करना राष्ट्र के हित में आवश्यक है। BMF (नेशनल) का यह अभियान इसी दिशा में एक बड़ा कदम है।