(ओमकार त्रिपाठी)
जौनपुर । शाहगंज कोतवाली में तैनात बेलगाम कोतवाल ने पुलिस विभाग की जमकर किरकिरी कराई। कानून व्यवस्था को ठेंगा दिखाते हुए पीड़ित अकबर काजमी की जमीन पुलिस की मौजूदगी में न सिर्फ दिनदहाड़े कब्जा हुई, बल्कि पीड़ित को थाने बैठाकर जमीन कब्जा होने के बाद उसका शांतिभंग में चालान भी कर दिया। जमीन कब्जाने का आरोप किसी और पर नहीं बल्कि सत्ताधारी पार्टी की सहयोगी निषाद पार्टी से शाहगंज विधायक रमेश सिंह पर लगा। पीड़ित मुख्यमंत्री से लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पदाधिकारियों तक अपनी फरियाद करता रहा लेकिन कोतवाल ने फिर भी उसकी तहरीर पर मुकदमा नहीं दर्ज किया। हालांकि, मुख्यमंत्री समेत पार्टी के शीर्ष नेताओं की नाराजगी के बाद न सिर्फ विधायक को फटकार लगी बल्कि एसपी द्वारा आरोपी कोतवाल को भी अब हटा दिया गया।
दरअसल, कानून व्यवस्था और जीरो टॉलरेंस के दावे करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश में दिनदहाड़े एक अल्पसंख्यक समुदाय के पीड़ित की जमीन कब्जा हो गई। न्याय के प्रतीक बुलडोजर से ही सत्ताधारी पार्टी के सहयोगी दल के विधायक रमेश सिंह पर प्रशासन की शह पर जमीन कब्जाने के आरोप भी लगे। ये विवादित जमीन विधायक ने अपनी पत्नी नीलम सिंह के नाम एग्रीमेंट कराई थी। अयोध्या प्रयागराज हाइवे स्थित पठकौली पूरे आजम निवासी अकबर काजमी जमीन कब्जा होने के बाद थाने से लेकर एसपी तक चक्कर लगाता था लेकिन उसकी कहीं कोई सुनवाई न हुई।
*बीजेपी नेताओं ने शीर्ष नेतृत्व से की शिकायत :*
सूत्रों की मानें तो पार्टी की छवि खराब होने पर जिले के कई बीजेपी नेताओं ने पीड़ित अकबर काजमी को न केवल संघ के पदाधिकारियों से मिलवाया बल्कि मुख्यमंत्री समेत बीजेपी के कई शीर्ष नेताओं से भी इसकी शिकायत भी की। यह कहा गया कि समाने चुनाव है ऐसे में किसी अल्पसंख्यक की जमीन बुलडोजर की शह पर कब्जाने का निषाद पार्टी के विधायक रमेश सिंह पर लगा आरोप कहीं न कहीं पार्टी के लिए बड़ा नुकसानदेह साबित हो सकता है। इससे जिले में एक गलत संदेश जा रहा है। आम जनमानस में पीड़ित की शिकायत पर कोई कार्रवाई न होने पर विधायक के मुख्यमंत्री के सजातीय होने के आरोप भी लग रहे हैं। इसके अलावा सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित होकर पार्टी से जुड़े अल्पसंख्यक लोग भी इस कांड से नाराज दिख रहे है। इन सबके पीछे स्थानीय पुलिस प्रशासन की भूमिका भी ठीक नहीं है।
*मुख्यमंत्री ने लगाई थी फटकार :*
पार्टी नेताओं की शिकायत पर सूत्र बताते हैं कि दिशा की चल रही बैठक के दौरान ही मुख्यमंत्री कार्यालय से विधायक को तलब करते हुए लखनऊ बुलाया गया। मुख्यमंत्री ने सरकार की छवि खराब करने और अल्पसंख्यक की जमीन कब्जाने के मामले में उन्हें कड़ी फटकार भी लगाई थी। हालांकि, इस बात को छुपाने के लिए समर्थकों ने शाहगंज महोत्सव में आमंत्रित करके के लिए मुख्यमंत्री से विधायक के मिलने की वजह बताई थी। जबकि, हकीकत कुछ और थी, जिस शाहगंज महोत्सव में मुख्यमंत्री के आने के लिए आमंत्रण की बात कही जा रही थी उसकी अभी तक कोई डेट ही निर्धारित नहीं है।
*पुलिस को भी लगी थी फटकार :*
सुनियोजित तरीके से विधायक रमेश सिंह की पत्नी नीलम के नाम एग्रीमेंट कराई गई विवादित जमीन कब्जा होने के बाद जब उसका CCTV समाने आया तो पुलिस की भूमिका पर सवाल उठने लगे थे। अकबर की बाउंड्री वाल बुलडोजर से गिराते हुए उसके साथ मारपीट की गई। उसके बावजूद पीड़ित को थाने में बैठाकर उसकी जमीन कब्जा होने के बाद उसका शांतिभंग में चालान कर दिया। शाहगंज पुलिस के इस कारनामे ने यूपी पुलिस की जमकर किरकिरी कराई। शाहगंज पुलिस ने पीड़ित की जमीन कब्जा होने के बाद आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं की, उल्टे पीड़ित पर ही मुकदमा भी दर्ज कर दिया।
*एसपी ने शाहगंज कोतवाल को हटाया:*
हालांकि, तभी से पुलिस अधीक्षक डॉ कौस्तुभ शाहगंज के प्रभारी निरीक्षक दीपेंद्र सिंह के कार्यशैली को लेकर काफी नाराज चल रहे थे। एसपी ने इस पूरे मामले की जांच के आदेश दिए थे। जांच में शाहगंज कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक दीपेंद्र सिंह की भूमिका संदिग्ध पाए जाने पर उन्हें शाहगंज से हटाने का फैसला कर लिया था। लेकिन नवरात्रि, दशहरे और भरतमिलाप को देखते हुए उन्हें शाहगंज रोक रखा। भरतमिलाप बीतने के तुरंत बाद ही एसपी ने मंगलवार को विवादों में रहने वाले प्रभारी निरीक्षक दीपेंद्र सिंह को शाहगंज से हटाकर केराकत भेज दिया। फिलहाल, एसपी ने अब शाहगंज कोतवाली की कमान किरण कुमार सिंह के हाथों में दे दी है।
