राष्ट्रचिंतना की इक्कतीसवीं गोष्ठी का आयोजन गेल सोसाइटी के क्लब हाउस में किया गया।

बृज बिहारी दुबे
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(रिपोर्ट भोला ठाकुर) 

आज राष्ट्रचिंतना की इक्कतीसवीं गोष्ठी का आयोजन गेल सोसाइटी के क्लब हाउस में किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता प्रो बलवंत सिंह राजपूत ने की एवं गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के  भारतीय संस्कृति केंद्र के निदेशक तथा शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के क्षेत्रीय संयोजक डॉ संजय कुमार शर्मा ने वर्तमान समय में भारतीय ज्ञान परंपरा की प्रासंगिकता विषय पर अपने विचार साझा किए। 
गोष्ठी का संचालन करते हुए प्रो विवेक कुमार ने भारतीय ज्ञान परंपरा के विभिन्न आयामों और इसकी महत्ता के बारे में बताया। राष्ट्रचिंतना ग्रेटर नोएडा के अध्यक्ष राजेश बिहारी ने बताया कि भारत एक सांस्कृतिक राष्ट्र है और चेतन स्वरूप है। भारत में पूर्व में सात लाख अस्सी हजार से अधिक गुरुकुल थे जिनके माध्यम से भारतीय ज्ञान परंपरा आगे बढ़ रही थी। 
डॉ संजय ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा जीने का विषय है। भारतीय ज्ञान परंपरा में वेद, उपनिषद, स्मृति, दर्शन शास्त्र, धर्म शास्त्र, अर्थ शास्त्र, शिक्षा शास्त्र आदि का ज्ञान समाहित है। प्रो बलवंत सिंह राजपूत ने अध्यक्षीय उद्बोधन में वेदांत और वैदिक दर्शन के बारे में विस्तार से उल्लेख किया। प्रो आर एन शुक्ला, डॉ आरती शर्मा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। गोष्ठी में नरेश गुप्ता, इं रवेंद्र पाल सिंह, विनोद अरोरा, आदेश सिंघल, प्रो एस सी गर्ग, शुभम अचल, मयंक चौधरी, डॉ दिव्या, डॉ रजनीश, डॉ संदीप, उमेश पांडे, पंकज शर्मा, जूली, तापस, एस के मिश्रा, मनमोहन, संगीता वर्मा, जयप्रकाश अग्रवाल, सुरजीत सिंह, भोला ठाकुर, एस के अग्रवाल आदि प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।

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