सिंदरी , धनबाद । पुरा झारखंड के साथ साथ धनबाद कोयलांचल और सिंदरी में जितिया (जिसे जिउतिया भी कहते हैं) एक व्रत है जिसमें निर्जला (बिना पानी के) उपवास पूरे दिन किया जाता है और माताओं द्वारा अपने बच्चों की लंबी उम्र, सुख समृद्धि और कल्याण के लिए मनाया जाता है। इस पर्व को बड़ी श्रद्धा भक्ति भाव से महिलाओं ने मनाया।
संतान की दीर्घायु व उत्तम सेहत के लिए महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं। हर साल ये व्रत अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ही मनाने का विधान है। संध्या के समय सोलह शृंगार कर तथा बरियार के पौधे की पूजा भी महिलाएं करती हैं और व्रत कथा सुनती है । फिर माताएं अगले दिन नवमी को दान-पुण्य कर व्रत पारण करती हैं और जिऊतिया माला भी धारण करती हैं।
यह पर्व खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल के कई हिस्सों में बड़ी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस व्रत को करने से पुत्र की उम्र लंबी होती है और उसके जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
जितिया व्रत का महत्व
जितिया व्रत का महत्व सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि भावनात्मक भी है। यह व्रत मुख्य रूप से माताएं अपने पुत्र की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान पर आने वाले संकट दूर हो जाते हैं और उसके जीवन में खुशहाली आती है।
सिंदरी में काफी संख्या में महिलाएं व्रत करने के साथ साथ विभिन्न मंदिरों, शहरपुरा शिव मंदिर, रांगा माटी मंदिर रांगा माटी छठ तालाब स्थित मंदिर,मनोहर टांड़ शिव मंदिर,डोमगढ शिव मंदिर,ए सी सी मंदिर,आर एम के फोर शिव मंदिर, रोड़ा बांध शिव मंदिर इत्यादि मंदिरों में व्रत धारण करने वाली महिलाओं ने जितिया व्रत कथा सुनने मंदिरों में पहुंच कर कथा सुनी और पूजा अर्चना की।
रिपोर्ट प्रेम प्रकाश शर्मा
