सूचना का अधिकार अधिनियम का खुला उल्लंघन और भ्रष्टाचार का पर्दाफाश,भारतीय मीडिया फाउंडेशन (नेशनल) टीम खोलेगी मोर्चा शिकंजे में होंगे भ्रष्टाचारी अधिकारी:

बृज बिहारी दुबे
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कानपुर उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में, सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 के खुले उल्लंघन का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यह मामला ग्राम पंचायत धर्मागदपुर से संबंधित है, जहां एक आवेदक की शिकायत को ग्राम सचिव ने गलत तरीके से दबा दिया। इस घटना ने न केवल पंचायत स्तर पर पारदर्शिता की कमी को उजागर किया है, बल्कि प्रशासनिक अधिकारियों की जवाबदेही पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

*मामला क्या है?*

एक आवेदक ने जनसुनवाई पोर्टल (शिकायत संख्या 40016425060841) पर शिकायत दर्ज कराई थी कि ग्राम पंचायत में RTI अधिनियम की धारा-4 (स्वप्रेरित प्रकटीकरण) और धारा-26 (नागरिकों को जागरूक करना) का पालन नहीं हो रहा है। इन धाराओं के तहत, सार्वजनिक प्राधिकरणों का यह कानूनी दायित्व है कि वे स्वयं जानकारी प्रकाशित करें और नागरिकों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करें।
हैरानी की बात यह है कि ग्राम सचिव ने इस शिकायत को "सूचना माँगना" दर्शाते हुए एक भ्रामक रिपोर्ट पेश की, जिससे शिकायत का मूल उद्देश्य ही बदल गया। रिपोर्ट में ग्राम प्रधान और सदस्यों की सहमति का उल्लेख है, लेकिन उनके नाम, नंबर या हस्ताक्षर जैसी आवश्यक जानकारी गायब है, जो इस रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर संदेह पैदा करती है।
प्रधान और सचिव द्वारा जनता को गुमराह करना
रिपोर्ट के अनुसार, ग्राम सचिव और प्रधान ने गांव के लोगों को यह कहकर गुमराह किया कि आवेदक का यह कदम "पंचायत के काम में रुकावट" है और "पंचायत की बदनामी" हो रही है। यह एक स्पष्ट प्रयास था कि लोग आवेदक के खिलाफ खड़े हो जाएं। लेकिन असलियत में, धारा-4 और 26 का पालन करना उनका कानूनी कर्तव्य है, और इसका उल्लंघन करना एक गंभीर अपराध है।
कानूनी विशेषज्ञों का मत
कानूनी जानकारों के अनुसार, यह कार्य कई कानूनों का उल्लंघन है:
 *भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 166, 217 और 218:*
 ये धाराएं सरकारी अधिकारियों द्वारा कानून का पालन न करने और गलत रिकॉर्ड बनाने से संबंधित हैं।
 *RTI अधिनियम की धारा-20:*
 इस धारा के तहत, गलत जानकारी देने या जानबूझकर लापरवाही करने पर दोषी अधिकारी (इस मामले में ग्राम सचिव) पर ₹25,000 तक का व्यक्तिगत जुर्माना लगाया जा सकता है।
 *संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) और 14:*

 यह मामला नागरिकों के सूचना के अधिकार (अनुच्छेद 19(1)(a)) और समानता के अधिकार (अनुच्छेद 14) का भी उल्लंघन करता है।

*मीडिया और यूनियन की प्रतिक्रिया*

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, भारतीय मीडिया फाउंडेशन (नेशनल) की कोर कमेटी ने इसे गंभीरता से लिया है। यूनियन के संस्थापक एके बिंदुसार ने कहा कि इस पर राज्य सरकार से सूचना मांगी जाएगी। यूनियन इस मुद्दे को लेकर मानवाधिकार आयोग, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और लोकायुक्त को पत्र लिखकर स्पष्टीकरण की मांग करेगा, ताकि इस तरह के भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सके।
*आगे क्या?*
यह देखना बाकी है कि जिलाधिकारी और राज्य सूचना आयोग इस गंभीर मामले पर क्या कार्यवाही करते हैं। क्या दोषी अधिकारियों को निलंबित किया जाएगा, या यह मामला भी सिर्फ कागजों में दबकर रह जाएगा, जैसा कि अक्सर होता है? यह घटना एक महत्वपूर्ण सवाल उठाती है कि क्या प्रशासनिक अधिकारी अपनी शक्तियों का दुरुपयोग जारी रखेंगे, या पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों को प्राथमिकता दी जाएगी।
अगर आप किसी ऐसे मामले के बारे में जानते हैं, तो आप भी इसे उजागर करने में मदद कर सकते हैं।

*जिलाधिकारी से हुई शिकायत:*
 धर्मांगदपुर पंचायत में RTI नियमों का उल्लंघन, सचिव पर लगे गंभीर आरोप
कानपुर के घाटमपुर तहसील के ग्राम धर्मांगदपुर में सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम और जनशिकायत निवारण नियमावली के खुले उल्लंघन का एक मामला सामने आया है। इस संबंध में, एक स्थानीय निवासी पंकज कुमार ने सीधे जिलाधिकारी महोदय को पत्र लिखकर ग्राम पंचायत सचिव अमित सिंह के खिलाफ जांच की मांग की है। पंकज कुमार का आरोप है कि सचिव ने न केवल नियमों की अनदेखी की, बल्कि एकतरफा कार्रवाई करते हुए उनकी शिकायत को गलत तरीके से "निस्तारित" दिखा दिया।

*क्या है पूरा मामला?*

पंकज कुमार ने जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत संख्या 40016425060841 के माध्यम से ग्राम पंचायत में पारदर्शिता की कमी को उजागर किया था। उनकी शिकायत में कहा गया था कि ग्राम पंचायत में RTI अधिनियम 2005 की धारा-4 (स्वप्रेरित प्रकटीकरण) और धारा-26 (नागरिकों को जागरूक करना) का पालन नहीं हो रहा है। इसके अलावा, उन्होंने उत्तर प्रदेश ग्राम पंचायत राज अधिनियम 1947 की धारा 25, 27 व 49 और उत्तर प्रदेश जनशिकायत निवारण नियमावली 2016 के नियम 6, 7, 9 के उल्लंघन का भी आरोप लगाया था।
हालांकि, पंकज कुमार का आरोप है कि सचिव अमित सिंह ने इन सभी नियमों को दरकिनार करते हुए, बिना ग्राम प्रधान और सदस्यों के बयान या हस्ताक्षर लिए, शिकायत को एकतरफा तरीके से बंद कर दिया। इस कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए, उन्होंने आशंका जताई है कि यह लापरवाही सिर्फ धर्मांगदपुर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सचिव के अधीन आने वाली अन्य पंचायतों में भी इसी तरह से काम किया जा रहा होगा, जिससे पूरे क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।
शिकायतकर्ता की मांगें
इस गंभीर अनियमितता के मद्देनजर, पंकज कुमार ने जिलाधिकारी से निम्नलिखित चार सूत्रीय मांगों पर तत्काल कार्रवाई करने का अनुरोध किया है:
 धर्मांगदपुर पंचायत में सचिव द्वारा किए गए शिकायत निस्तारण की विस्तृत जांच कराई जाए।
  सचिव अमित सिंह के अधीन आने वाली सभी ग्राम पंचायतों में निस्तारणों और RTI अनुपालन की व्यापक जांच के लिए एक जिला स्तरीय टीम का गठन किया जाए।
 यदि जांच में सचिव की लापरवाही और नियम उल्लंघन सिद्ध होता है, तो उनके खिलाफ विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई, जिसमें कारण बताओ नोटिस, चार्जशीट, और निलंबन शामिल है, की जाए।
 भविष्य में इस तरह की लापरवाही को रोकने के लिए, पंचायत सचिवों की कार्यप्रणाली की निगरानी हेतु एक प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
इस शिकायत ने स्थानीय प्रशासन में व्याप्त संभावित भ्रष्टाचार और नियमों की अनदेखी पर प्रकाश डाला है। अब यह देखना बाकी है कि जिलाधिकारी इस मामले पर क्या कदम उठाते हैं और क्या इस जांच के बाद अन्य पंचायतों में भी सुधार देखने को मिलेगा।


रिपोर्ट - सुमित कुमार

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