भारतीय मीडिया फाउंडेशन (नेशनल ) का महासम्मेलन: पत्रकारों की आवाज़ और राजनीतिक दलों की अग्निपरीक्षा!

बृज बिहारी दुबे
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       नई दिल्ली (कार्यालय संवाददाता) 

मिर्ज़ापुर के अदलहाट में सितंबर माह  के अंत में होने वाले पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता महासम्मेलन की गूंज अभी से सुनाई देने लगी है। 
इस महासम्मेलन का नेतृत्व कर रहे भारतीय मीडिया फाउंडेशन (नेशनल) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित बालकृष्ण तिवारी,संस्थापक एके बिंदुसार एवं राष्ट्रीय कोर कमेटी ने इसके राजनीतिकरण से जुड़े सवालों पर अपनी बात मजबूती से रखी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस सम्मेलन का उद्देश्य किसी भी दल का एकतरफा समर्थन करना या उनसे गठबंधन करना बिल्कुल नहीं है।
यह महासम्मेलन पत्रकारिता जगत की उन महत्वपूर्ण मांगों पर केंद्रित है, जिन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है।
 बिंदुसार ने जोर देकर कहा कि उनकी यूनियन का गठन पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के अधिकार, सम्मान और सुरक्षा और मीडिया को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए हुआ है। वे अपने उद्देश्यों के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं और इस महासम्मेलन के माध्यम से उन मांगों को एक निर्णायक मंच प्रदान करना चाहते हैं।

*सभी राजनीतिक दलों को निमंत्रण: कौन देगा पत्रकारों का साथ?*

यह महासम्मेलन एक तरह से सभी राजनीतिक दलों के लिए एक चुनौती भी है। बिंदुसार ने कहा कि सरकारें और कानून बनाने का अधिकार राजनीतिक दलों के पास होता है, इसलिए उन्हें इस आंदोलन से अलग एवं मीडिया मंच से दूर नहीं रखा जा सकता।
 उन्होंने बताया कि सम्मेलन में सभी राजनीतिक दलों के राष्ट्रीय अध्यक्षों को स्वयं मिलकर, ईमेल और फैक्स के माध्यम से निमंत्रण भेजा जाएगा।
यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन-कौन सी पार्टियां पत्रकारों के संवैधानिक अधिकारों का समर्थन करती हैं और इस महासम्मेलन में शामिल होने की सहमति देती हैं। यह मंच दलों को यह दिखाने का मौका देगा कि वे पत्रकारिता की स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा और मीडिया के संवैधानिक अधिकारों को कितनी गंभीरता से लेते हैं।

*सपा के प्रयासों की सराहना और भविष्य की उम्मीद:*

बिंदुसार ने अतीत के उन प्रयासों को सराहा, जब समाजवादी पार्टी के वाराणसी क्षेत्र के विधान परिषद सदस्य आशुतोष सिन्हा ने सदन में पत्रकारों के मुद्दे को उठाया था। उन्होंने वाराणसी आगमन पर उनकी टीम द्वारा किए गए जोरदार स्वागत का भी जिक्र किया। बिंदुसार ने साफ किया कि जो भी राजनीतिक दल पत्रकारों के हितों की बात करेगा, उसे सम्मान मिलेगा। यह संदेश स्पष्ट है कि पत्रकारिता का हित सर्वोपरि है।
*प्रमुख मांगें: एक क्रांति की तैयारी*
यह महासम्मेलन सिर्फ एक बैठक यामाहा सम्मेलन नहीं, बल्कि एक क्रांति की तैयारी है। भारतीय मीडिया फाउंडेशन (नेशनल) की प्रमुख मांगें निम्नलिखित हैं:
1-पत्रकार सुरक्षा कानून को तत्काल लागू कराना।
2- मीडिया कल्याण बोर्ड और मीडिया पालिका की स्थापना कराना।
3-सभी पत्रकारों को सम्मानजनक मानदेय दिलवाना।
4- प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के सभी पत्रकारों को अधिमान्यता प्रमाणपत्र जारी कराना।
5- विधान परिषद में स्नातक और शिक्षक विधायकों की तरह जर्नलिस्ट विधायकों (Generalist Legislator Member Legislative Council) के लिए कोटा तय करवाना।
6-सभी राजनीतिक पार्टियों द्वारा पत्रकारों को टिकट देने के लिए कोटा तय करवाना।
ये सभी मांगें पत्रकारों के जीवन को सुरक्षित और सम्मानजनक बनाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इस महासम्मेलन के जरिए ये मांगें एक सशक्त आवाज बनकर सामने आएंगी।

*संघर्ष जारी है...*
बिंदुसार ने कहा कि उनका संघर्ष लगातार जारी रहेगा और मिर्ज़ापुर का यह महासम्मेलन इसी संघर्ष को और तेज करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। अब देखना यह है कि इस महासम्मेलन के बाद पत्रकारिता जगत के लिए क्या नए रास्ते खुलते हैं और कौन से राजनीतिक दल इस मुहिम का हिस्सा बनकर पत्रकारों के भविष्य को सुरक्षित बनाने में अपनी भूमिका निभाते हैं।

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