जौनपुर जिले में शिक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए कुछ विद्यालय प्राथमिक स्तर की मान्यता लेकर इंटर कॉलेज तक का संचालन कर रहे थे। इस अवैध और चौंकाने वाले खेल का पर्दाफाश तब हुआ जब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. गोरखनाथ पटेल के निर्देशन में खंड शिक्षा अधिकारी करंजाकला श्री श्रवण कुमार यादव ने दो शिक्षण संस्थानों की जांच की।
जांच में “माँ शीतला गुरुकुल, नेवादा ईश्वरी सिंह” को केवल कक्षा 5 तक मान्यता प्राप्त थी, जबकि विद्यालय में कक्षा 12 तक पढ़ाई कराई जा रही थी। इतना ही नहीं, “शिवशक्ति पब्लिक स्कूल” भी कक्षा 6 से 8 तक की मान्यता के बावजूद, इससे अधिक कक्षाओं का संचालन कर रहा था।
खंड शिक्षा अधिकारी ने तत्काल प्रभाव से दोनों विद्यालयों की उच्च कक्षाएं बंद कराईं और विद्यालय प्रशासन पर सख्त कार्रवाई की।
*सवालों के घेरे में शिक्षा विभाग की निगरानी प्रणाली,*
अब सवाल यह उठता है कि यह खेल वर्षों से कैसे चल रहा था?
क्या जिम्मेदार अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं थी, या फिर उन्होंने जानबूझकर आंखें मूंद रखी थीं?
अगर शिक्षा विभाग की निगरानी प्रणाली प्रभावी होती, तो बच्चों के भविष्य से यह खिलवाड़ इतनी देर तक कैसे चलता रहा?
खंड शिक्षा अधिकारी ने चेतावनी दी है कि “मान्यता की शर्तों का उल्लंघन किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदि भविष्य में कोई और विद्यालय इस प्रकार की गतिविधियों में लिप्त पाया गया, तो उस पर भी कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
शिक्षा विभाग ने अभिभावकों से भी अपील की है कि वे विद्यालयों की मान्यता स्थिति की जानकारी अवश्य लें और ऐसी संस्थाओं के खिलाफ आवाज़ उठाएं जो बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।
रिपोर्ट राजन सिंह