प्रणतः क्लेनाशाय गोविंदाय नमो नमः।।
कृष्ण जन्माष्टमी विशेष
16/अगस्त/2025
पण्डित कृष्ण माधव मिश्रा केंद्रीय अध्यक्ष केंद्रीय सलाहकार परिषद भारतीय मीडिया फाउंडेशन (नेशनल)
एवं ब्यूरो चीफ भारतीय मीडिया फाउंडेशन (नेशनल) न्यूज़ नेटवर्क उत्तराखण्ड
कृष्ण जन्माष्टमी हिंदू धर्म में एक प्रमुख त्योहार है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
इसका महत्व निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:
धार्मिक महत्व: जन्माष्टमी भगवान विष्णु के आठवें अवतार, श्रीकृष्ण के जन्म की याद में मनाई जाती है। वे भक्तों के लिए प्रेम, ज्ञान, और धर्म के प्रतीक हैं।
यह त्योहार भक्तों को भगवद्गीता के उपदेशों और कृष्ण की लीलाओं को स्मरण करने का अवसर देता है, जो जीवन में सत्य, न्याय, और धर्म का मार्ग दिखाते हैं।
आध्यात्मिक महत्व:जन्माष्टमी का व्रत और पूजा भक्तों को आत्मिक शुद्धि और भगवान के प्रति समर्पण का अवसर प्रदान करता है।
यह भक्ति, ध्यान, और आत्म-चिंतन का समय है, जो व्यक्ति को सांसारिक मोह-माया से ऊपर उठने में मदद करता है।
सांस्कृतिक महत्व:यह त्योहार भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता है, जिसमें मंदिरों में विशेष पूजा, भजन-कीर्तन, और रासलीला का आयोजन होता है।
'दही-हांडी' जैसे आयोजन, विशेष रूप से महाराष्ट्र में, कृष्ण की बाल लीलाओं को दर्शाते हैं और सामुदायिक एकता को बढ़ावा देते हैं।
सामाजिक महत्व:जन्माष्टमी लोगों को एकजुट करती है, जहां परिवार और समुदाय मिलकर उत्सव मनाते हैं।
यह प्रेम, भाईचारे, और आपसी सहयोग की भावना को प्रोत्साहित करता है।
नैतिक शिक्षा:श्रीकृष्ण की शिक्षाएं, जैसे कर्मयोग, भक्तियोग, और ज्ञानयोग, लोगों को जीवन में संतुलन और उद्देश्य की खोज करने की प्रेरणा देती हैं।
यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है, क्योंकि कृष्ण ने अपने जीवन में कई राक्षसों का संहार किया।
जन्माष्टमी विशेष रूप से भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं,मंदिरों में दर्शन करते हैं, और रात्रि में कृष्ण जन्म के समय विशेष पूजा करते हैं। यह त्योहार भक्तों को प्रेम, भक्ति, और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
जय श्री कृष्णा 🚩🙏