प्रिय भारतवासियों,हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाने की हमारी परंपरा रही है। ये दोनों ही दिन हमारे इतिहास के गौरवशाली पन्ने हैं, लेकिन अब समय आ गया है कि हम इन दिनों को एक नई सोच और नई पहचान दें।
भारतीय मीडिया फाउंडेशन (नेशनल) के संस्थापक, ए.के. बिंदुसार, ने एक महत्वपूर्ण विचार रखा है, जिस पर हम सबको गंभीरता से विचार करना चाहिए।
*15 अगस्त: 'विजय दिवस' - हमारी जीत का सम्मान*
क्या 'स्वतंत्रता दिवस' शब्द हमें हमारी गुलामी की याद नहीं दिलाता? क्या हम वास्तव में गुलाम थे? बिंदुसार जी का तर्क है कि भारत कभी पूर्ण रूप से गुलाम नहीं हुआ। विदेशी आक्रमणकारियों ने हमारे भू-भाग और संपत्ति पर कब्जा ज़रूर किया, लेकिन हमारी सनातन संस्कृति, हमारी आस्था और हमारा राष्ट्रवाद हमेशा जीवित रहा और पूर्ण रूप से स्वतंत्र रहा । हमारे पूर्वजों ने अपने लहू की कुर्बानी देकर उन हमलावरों को बार-बार हराया।
इसलिए, 15 अगस्त को 'विजय दिवस' के रूप में मनाना अधिक उचित होगा। यह हमारे उन महान नायकों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी जिन्होंने अपने बलिदान से हमें जीत दिलाई। यह हमें गुलामी की जंजीरों से मुक्ति का नहीं, बल्कि हमारी सनातन धर्म और संस्कृति की अटूट विजय का एहसास कराएगा। यह हमें याद दिलाएगा कि हम हमेशा से स्वतंत्र थे और रहेंगे। जैसा कि महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद ने अपनी शहादत से साबित किया, हम कभी गुलाम नहीं थे और न होंगे। यह दृष्टिकोण हमें गर्व, सम्मान और आत्मविश्वास से भर देगा।
*26 जनवरी: 'संविधान दिवस' - हमारे अधिकारों का सम्मान*
इसी तरह, 26 जनवरी को 'गणतंत्र दिवस' के बजाय 'संविधान दिवस' के रूप में मनाना चाहिए। यह वह दिन है जब हमें हमारे संवैधानिक अधिकार मिले थे। यह दिन हमारे संविधान की शक्ति और उसके निर्माताओं के दूरदर्शी सोच को समर्पित है। 'संविधान दिवस' के रूप में इसे मनाने से हम अपने अधिकारों, कर्तव्यों और न्याय व्यवस्था के प्रति अधिक जागरूक होंगे क्यों अपने सनातन संस्कृति की गरिमा को मजबूती के साथ बनाए रखेंगे।
यह हमें याद दिलाएगा कि हमारा संविधान सिर्फ एक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि हमारी एकता, अखंडता और भाईचारे का प्रतीक है। यह हमें सिखाएगा कि देश की सबसे बड़ी शक्ति हमारा संविधान है, जिसमें हमारे महापुरुषों की आत्माएं प्रतिष्ठित है, जो हर नागरिक को समान अधिकार और सम्मान देता है।
*सनातन राष्ट्र और संस्कृति का गौरव*
बिंदुसार जी ने सही कहा है कि भारत एक सनातन राष्ट्र है और हमारी संस्कृति पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। हमारा इतिहास इस बात का गवाह है कि हमने हमेशा अधर्म पर धर्म की विजय प्राप्त की है। सनातन संस्कृति से अलग होकर कोई भी मानव इस धरती पर अपने अस्तित्व को पहचान नहीं सकता।
आइए, हम सब मिलकर इन विचारों पर गौर करें। 15 अगस्त को 'विजय दिवस' और 26 जनवरी को 'संविधान दिवस' के रूप में मनाने का यह सुझाव हमारे राष्ट्र के सम्मान, गर्व और आत्म-गौरव को पुनर्जीवित करने का एक प्रयास है। यह हमारे उन शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी, जिन्होंने अपनी जान देकर हमें ये विजय दिलाई हैं। आइए, हम सब एक होकर इस नए विचार का स्वागत करें और एक ऐसे भारत का निर्माण करें, जो अपने गौरवशाली इतिहास पर गर्व करे और भविष्य की ओर आत्मविश्वास से बढ़े।
जय हिंद! जय सनातन राष्ट्र !जय भारत!
रिपोर्ट समाधि मिश्रा