अमृतसर: आज अमृतसर में अपने सत्संग में देश के प्रतिष्ठित संत पारस भाई ने कहा कि शाश्वत, सत्य और हमारे लिए गर्व का विषय है सनातन धर्म, उन्होंने कहा कि आलौकिक, पारलौकिक मान्यताओं से मन को खुशी प्रदान करने वाला, जन्म-मरण के बंधन से मुक्त करने वाला, सत्य- अहिंसा के मार्ग पर चलाने वाला, भक्ति के सागर में डूबकर पार लगाने वाला धर्म ही तो सनातन धर्म है।
इसके मूल में दया, सहिष्णुता, अहिंसा, तपस्या आदि है. सत्यं, शिवम् और सुंदरम् की परिभाषा है। यह अंधकार से प्रकाश की ओर, असत्य से सत्य की ओर और मृत्यु से जीवन की ओर ले जाता है. उन्होंने आगे कहा कि हिंदू धर्म किसी की आस्था पर प्रहार नहीं करता। हमें गर्व है कि हम सनातन धर्म को मानने वाले हैं। सनातन धर्म की पवित्रता, लचीलापन और उससे प्राप्त होने वाली उपलब्धियां हमें हर कदम पर गौरवान्वित करती हैं। हमारी सभ्यता और संस्कृति में सनातन धर्म की छवि पारदर्शी रुप में स्पष्ट परिलक्षित होती है। वैदिक धर्म ही सत्य है, शाश्वत है, ईश्वर की सत्ता अपरंपार है, उन्होंने कहा कि अब सनातन और हिंदुत्व का वैभव पूरी दुनिया में दिख रहा है। हर कोई शांति खोज रहा है। दूसरे देशों के लोग भी सनातन धर्म से जुड़ रहे हें। पारस जी महाराज ने आगे कहा कि वो जल्द ही एक ऐसी यात्रा पर निकलेंगे जो युवाओं को सनातन धर्म का महत्व समझाएंगे और ये यात्रा उन लोगों के लिए भी होगी जिनको न्याय नहीं मिला है।