पत्रकार और जनप्रतिनिधि को 'दलाल-घूसखोर' बताना पड़ा भारी: भारतीय मीडिया फाउंडेशन ने सोशल मीडिया पर अभद्र टिप्पणी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की:

बृज बिहारी दुबे
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लखनऊ/नई दिल्ली: भारतीय मीडिया फाउंडेशन (बीएमएफ) नेशनल की कोर कमेटी ने सोशल मीडिया पर सोनभद्र उत्तर प्रदेश एवं  मध्य प्रदेश के सभी पत्रकारों, ग्राम प्रधानों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आपत्तिजनक व अभद्र टिप्पणी करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की मांग उठाई है। यूनियन ने इस कृत्य को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ और जमीनी स्तर के नेताओं की छवि धूमिल करने की सोची-समझी साजिश बताया है।

*संस्थापक एके बिंदुसार ने उठाया मुद्दा*

भारतीय मीडिया फाउंडेशन नेशनल कोर कमेटी के संस्थापक श्री एके बिंदुसार ने मीडिया पर अभद्र टिप्पणी करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर 'योग गुरु सचिन तिवारी' नामक व्यक्ति द्वारा एक आपत्तिजनक वीडियो पोस्ट किया गया है। इस वीडियो में सोनभद्र उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के पत्रकारों, ग्राम प्रधानों, स्थानीय नेताओं एवं जनप्रतिनिधियों की छवि धूमिल करने हेतु अशोभनीय भाषा का प्रयोग किया गया है। देश के पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार संगठनों ने इस मामले को गंभीरता से संज्ञान में लिया है।

*वीडियो में लगाए गए निराधार आरोप*

वीडियो में रवि चौबे, विश्वनाथ कुमार पांडे, रोहित चौबे, प्रीतम चौबे, अंकित चौबे, मंगला प्रसाद एवं प्रदीप कुमार दुबे सहित कुछ व्यक्तियों के साथ मिलकर पत्रकारों, ग्राम प्रधानों और स्थानीय नेताओं को खुलेआम "दलाल" और "घूसखोर" कहकर बदनाम करने का प्रयास किया गया है। साथ ही यह भी आरोप लगाया गया है कि ये लोग आउटसोर्सिंग कंपनियों में पैसे लेकर लोगों को नौकरी दिलवाते हैं, जिसे स्थानीय पत्रकार एवं जनप्रतिनिधियों  ने पूर्णतः निराधार एवं असत्य आरोप बताया है।

*योजनाबद्ध तरीके से बदनामी की आशंका*

बीएमएफ ने दावा किया है कि यह संपूर्ण कृत्य शक्तिनगर निवासी आशीष चौबे के इशारे पर किया गया है। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि एवं पत्रकारों के अनुसार, वीडियो में शामिल सभी व्यक्ति आशीष चौबे के महिमामंडन में लगे हुए हैं और मीडिया के प्रति अपमानजनक शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं। इससे भी महत्वपूर्ण, आशीष चौबे ने स्वयं योग गुरु सचिन तिवारी की उक्त पोस्ट को अपनी फेसबुक वॉल पर साझा (share) किया है। क्षेत्रिय लोगों का मानना है कि यह स्पष्ट रूप से योजनाबद्ध तरीके से पत्रकारों और जनप्रतिनिधियों की छवि खराब करने के उद्देश्य से रचा गया पूरा प्रकरण है।

*विधिक कार्रवाई का रास्ता चुनने की सलाह*

यूनियन  के पदाधिकारियों ने साफ कहा कि यदि किसी पत्रकार ने आशीष चौबे से संबंधित कोई गलत समाचार प्रकाशित किया था, तो उन्हें सोशल मीडिया पर गाली-गलौज करने या लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को बदनाम करने के बजाय मानहानि का वाद या विधिक शिकायत दर्ज करानी चाहिए थी।
कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग
भारतीय मीडिया फाउंडेशन (नेशनल)ने सरकार और संबंधित कानूनी एजेंसियों से मांग की है कि उक्त वीडियो में शामिल सभी व्यक्तियों के विरुद्ध उचित जांच कराई जाए। साथ ही, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) एवं भारतीय दंड संहिता (IPC) की उपयुक्त धाराओं के अंतर्गत कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस प्रकार पत्रकारों, ग्राम प्रधानों, स्थानीय नेताओं एवं जनप्रतिनिधियों की प्रतिष्ठा को ठेस न पहुंचा सके।

बीएमएफ ने स्पष्ट संदेश दिया है कि लोकतंत्र के आधार स्तंभों पर इस प्रकार की व्यक्तिगत दुर्भावना से प्रेरित टिप्पणी कतई स्वीकार्य नहीं होगी और इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा।

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