नई दिल्ली भारतीय मीडिया फाउंडेशन नेशनल कोर कमेटी ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम, 2005 की मूल भावना को जमीन पर उतारने और तहसील स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए एक महत्वपूर्ण राष्ट्रव्यापी अभियान की घोषणा की है। यह अभियान आरटीआई की दो महत्वपूर्ण धाराओं— धारा 4 (स्वैच्छिक प्रकटीकरण) और धारा 26 (जागरूकता)—के प्रभावी अनुपालन पर केंद्रित है।
एके बिंदुसार ने कहा कि 1 नवंबर 2025 को राष्ट्रपति महोदया को ज्ञापन – सर्वोच्च स्तर पर पारदर्शिता की दस्तक
खूबी: मांग को राष्ट्रीय संज्ञान में लाना और संवैधानिक दबाव बनाना है,
1 नवंबर 2025 से पूरे देश में, भारतीय मीडिया फाउंडेशन नेशनल कोर कमेटी के सदस्य जिला पदाधिकारी एवं मीडिया अधिकारी के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति महोदया को संबोधित एक ज्ञापन पत्र सौंपेंगे।
इस संवैधानिक कदम के माध्यम से आरटीआई की धारा 4 और 26 के पालन में हो रही लापरवाही को देश के सर्वोच्च पद के संज्ञान में लाना हैं।
राष्ट्रपति महोदया को ज्ञापन सौंपने से सरकारी तंत्र पर इन अनिवार्य धाराओं को लागू करने के लिए शीर्ष-स्तरीय दबाव बनेगा, जिससे केवल कागज़ों तक सीमित पारदर्शिता ज़मीनी हकीकत में बदल सकेगी।
धारा 4 का पूर्ण पालन सूचना हेतु 'स्वैच्छिक प्रकटीकरण' की अनिवार्यता सुनिश्चित होगी।
*भ्रष्टाचार को जन्म लेने से पहले ही रोकना (Proactive Disclosure)*
आरटीआई अधिनियम की धारा 4 के तहत प्रत्येक लोक प्राधिकारी द्वारा अपने कामकाज, शक्तियों, कर्तव्यों और निर्णयों को जनता के लिए स्वतः (Proactively) प्रकाशित करना अनिवार्य है। इस धारा के पूर्ण अनुपालन से नागरिकों को छोटी-छोटी जानकारी के लिए भी आरटीआई आवेदन दाखिल करने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी। यह सरकारी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता की संस्कृति स्थापित करेगा, जिससे निर्णय लेने की प्रक्रिया में गोपनीयता और मनमानी खत्म होगी।
धारा 26 का प्रभावी क्रियान्वयन: 'सूचना के अधिकार' का जन-जन तक प्रसार
नागरिक सशक्तिकरण और जागरूकता का आधार हैं।
धारा 26 सरकार को आरटीआई के उपबंधों को लागू करने और सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण, शिक्षा तथा प्रचार कार्यक्रम चलाने का निर्देश देती है।
इस प्रावधान के सही अनुपालन से देश के आम नागरिक, विशेषकर ग्रामीण और वंचित वर्ग, अपने सूचना के अधिकार से परिचित होंगे। यह उन्हें सरकारी योजनाओं और कार्यों की निगरानी करने, अपने अधिकारों की मांग करने और प्रशासन को जवाबदेह ठहराने के लिए सशक्त बनाएगा।
*5 नवंबर से 'तहसील शुद्धि अभियान':*
*लेखपाल-कानूनगो पर आरटीआई का शिकंजा*
*जमीनी स्तर पर 'भ्रष्टाचार के जनक' पर सीधी कार्रवाई।*
यूनियन के संस्थापक ए.के. बिंदुसार का स्पष्ट मत है कि "तहसीलों में भ्रष्टाचार के सबसे बड़े जनक कहे जाने वाले लेखपाल और कानूनगो ही हैं।"
5 नवंबर 2025 से एक विशेष अभियान चलाकर शिकायत प्राप्त लेखपालों और कानूनगो के खिलाफ आरटीआई आवेदन लगाए जाएंगे।
आय के स्रोतों की जांच एवं जानकारी: उनकी घोषित/ज्ञात आय और वास्तविक संपत्ति/खर्च के बीच विसंगतियों को उजागर करना हैं।
आरटीआई की धारा 4 और 26 के पालन की जानकारी उनसे यह जानकारी मांगना है कि उन्होंने अपने क्षेत्र में पारदर्शिता और जागरूकता के लिए क्या कदम उठाए हैं।
उन्होंने कहा कि यह पहल निचले स्तर पर (जमीनी स्तर पर) फैले घुसखोरी और छोटे-मोटे भ्रष्टाचार को सीधे लक्षित करेगी, जिससे भूमि अभिलेख और राजस्व संबंधी कार्यों में जनता को राहत मिलेगी और पारदर्शिता आएगी।
एके बिंदुसार ने कहा कि यह अभियान आरटीआई कानून के वैधानिक प्रावधानों को जमीनी हकीकत बनाने, तहसील स्तर पर भ्रष्टाचार के गढ़ को तोड़ने और देश में एक मजबूत नागरिक-केंद्रित शासन (Citizen-Centric Governance) की स्थापना की दिशा में एक निर्णायक कदम है।
इसके साथ-साथ सरकार की बंजर भूमि सहित सभी सरकारी जमीनों पर भू- माफियाओं के कब्जे को हटाना और उन्हें निर्धन और भूमिहीनों के लिए सुरक्षित कराना, खेल का मैदान पार्को आदि के लिए उसे सुनिश्चित कराना ही लक्ष्य है।
