राष्ट्रचिंतना की बत्तीसवीं मासिक गोष्ठी पूर्ण ओजस आयुर्वेद क्लिनिक, अंसल गोल्फ लिंक-1 में आयोजित की गयी

बृज बिहारी दुबे
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(रिपोर्ट भोला ठाकुर)


राष्ट्रचिंतना की बत्तीसवीं मासिक गोष्ठी पूर्ण ओजस आयुर्वेद क्लिनिक, अंसल गोल्फ लिंक-1 में आयोजित की गयी जिसमें इतिहासकार एवं चिंतना के संस्थापक कृष्णानंद सागर ने 1947 से पूर्व के भारतीय इतिहास की विडंबना विषय पर अपना व्याख्यान दिया l प्रो विवेक कुमार ने गोष्ठी का सञ्चालन किया एवं नरेश गुप्ता ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया l कृष्णानंद सागर ने बताया कि 1947 से पूर्व घटित भारतीय इतिहास के दो महत्त्वपूर्ण आंदोलनों को जो अपने उद्देश्य में सफल रहे थे, इतिहास में लिखा ही नहीं गया| पहला आन्दोलन 1905 में शुरू हुआ, बंग-भंग आन्दोलन था जिसमें बंगाल के विभाजन का विरोध कलकत्ता से प्रारम्भ होकर पूरे देश में फैल गया और अंततः 1911 में अंग्रेजों को बंगाल को एक करना पड़ा | दूसरा आन्दोलन आर्य समाज एवं अन्य हिन्दू संगठनों के द्वारा 1930 और 1940 के दशक में हैदराबाद में हुआ जहाँ हिन्दू बहुसंख्यक होते हुए भी निजाम ने हिन्दुओं के धार्मिक अधिकारों पर प्रतिबन्ध लगा दिया था| हैदराबाद में पुलिस बर्बरता, सत्याग्रह और अत्याचार के खिलाफ संघर्ष के कई चरण शामिल थे।
गोष्ठी में राजेंद्र सोनी, सुवेद दीक्षित,  किसलय कुमार, डॉ दिनेश शर्मा, संगीता वर्मा, एड योगेश शर्मा, अरविन्द साहू, धरम पाल भाटिया, ऐल बी प्रसाद, अवधेश गुप्ता, डॉ गौरव, दीपेंदु, नवनीता महेश, प्रेरणा, रजनी भाटिया, वी के श्रीवास्तव, अक्षत आदि प्रबुद्धजन उपस्थिर रहे |

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