पत्रकारिता में बढ़ती ठगी पर नकेल कसने की तैयारी: PCI गाइडलाइन पर अमल जरूरी; पत्रकारों की सुरक्षा के लिए 'संरक्षण कानून' को सख्ती से लागू करने की मांग:

बृज बिहारी दुबे
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नई दिल्ली: देश में पत्रकारिता की आड़ में ठगी के बढ़ते धंधे और आपराधिक तत्वों की घुसपैठ पर लगाम कसने के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) द्वारा जारी की गई नई गाइडलाइन्स अब चर्चा के केंद्र में हैं। इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य न केवल पत्रकारिता के उच्च मानकों को बनाए रखना है, बल्कि इस पवित्र पेशे की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले तत्वों को बाहर का रास्ता दिखाना भी है।
भारतीय मीडिया फाउंडेशन नेशनल कोर कमेटी की ओर से एके बिंदुसार ने अपनी टिप्पणी करते हुए कहा कि मानक बनाया जाना बहुत जरूरी हैं, यह सत्य है कि पत्रकारिता का सहारा लेकर कुछ लोग इसको व्यावसायिक रूप दे दिए हैं और मुख्य रूप से कमीशन खोरी और दलाली का मुख्य आधार बना लिए हैं इस पर जांच अवश्य होनी चाहिए।

 PCI के प्रमुख सुझाव और सख्ती

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने जो मुख्य सुझाव दिए हैं, वे पत्रकारिता के क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देंगे:

 पत्रकारों का पुलिस सत्यापन (Police Verification): सबसे महत्वपूर्ण सुझावों में से एक है समाचार पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशकों, संपादकों, पत्रकारों और पत्रकार संगठनों के सदस्यों के लिए पुलिस सत्यापन (Police Verification) को अनिवार्य करना। यह कदम पत्रकारिता के नाम पर हो रही ठगी और ब्लैकमेलिंग में शामिल आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की घुसपैठ को प्रभावी ढंग से रोकेगा।
 
मीडिया संगठनों की आचार संहिता: PCI ने मीडिया संगठनों को स्वयं की आचार संहिता बनाने और अनुशासनहीनता पर कठोर कार्रवाई करने का सुझाव दिया है, जिससे स्व-नियमन (Self-Regulation) के माध्यम से पत्रकारिता के नैतिक मानकों को बनाए रखा जा सके।
  शिकायत निवारण तंत्र: PCI प्रेस काउंसिल अधिनियम, 1978 की धारा 13 के तहत पत्रकारिता संबंधी शिकायतों की जांच करती है और आवश्यक कार्रवाई करती है, जो पत्रकारों के दुर्व्यवहार पर कानूनी ढांचा प्रदान करता है।
 सुरक्षा और पारदर्शिता की दोहरी चुनौती
इन नियमों के पालन के महत्व पर जोर देते हुए, भारतीय मीडिया फाउंडेशन (नेशनल) के संस्थापक ए.के. बिंदुसार ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि PCI के ये नियम अति आवश्यक हैं, लेकिन इसके साथ ही प्रेस काउंसिल को भी अपनी नियमावली में और अधिक पारदर्शिता लानी चाहिए, ताकि प्रेस की स्वतंत्रता प्रभावित न हो।
बिंदुसार ने पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर आए दिन हो रहे हमलों पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने मांग की कि पत्रकारों को खतरे से बचाने और उन्हें स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति देने के लिए "पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुरक्षा कानून" को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।

📝 मीडिया संगठनों को तत्काल कार्रवाई का संदेश

पत्रकारिता के क्षेत्र में बढ़ते अपराध को रोकने के लिए मीडिया संगठनों को भी सक्रिय भूमिका निभाने की आवश्यकता है:
  आचार संहिता का सख्ती से पालन: मीडिया संगठनों को अपने पत्रकारों के लिए स्पष्ट आचार संहिता बनाकर उसका पालन सुनिश्चित करना होगा।
 सुरक्षा और प्रशिक्षण: पत्रकारों को पत्रकारिता के उच्च मानकों पर बने रहने के लिए नियमित प्रशिक्षण देना और फील्ड में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाना अनिवार्य है।
 शिकायत निवारण प्रणाली: आंतरिक शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित करना भी ज़रूरी है, जिससे पत्रकारों और अन्य हितधारकों की समस्याओं का त्वरित समाधान किया जा सके।
अंततः, पत्रकारिता की शुचिता को बनाए रखने के लिए PCI की गाइडलाइन पर अमल और पत्रकार संरक्षण कानून को प्रभावी ढंग से लागू करना समय की मांग है। यह दोहरी रणनीति ही न केवल इस पेशे की गरिमा को बचाएगी, बल्कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की नींव को भी मजबूत करेगी।

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