जीवित्पुत्रिका पूजा एक पारंपरिक और धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और सलामती के लिए व्रत रखती हैं और पूजा करती हैं। यह पूजा विशेष रूप से भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है इस पूजा के दौरान, माताएं निर्जला व्रत रखती हैं और अपने बच्चों की सलामती और लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। पूजा के दौरान, माताएं विभिन्न अनुष्ठानों और विधियों का पालन करती हैं, जैसे कि जीवित्पुत्रिका देवी की पूजा करना, उन्हें फूल, फल, और अन्य प्रसाद चढ़ाना, और अपने बच्चों की सलामती के लिए प्रार्थना करना।
जीवित्पुत्रिका पूजा का महत्व:
1. *बच्चों की सलामती*: इस पूजा का मुख्य उद्देश्य बच्चों की सलामती और लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करना है।
2. *माताओं की तपस्या*: इस पूजा के दौरान, माताएं अपने बच्चों के लिए तपस्या करती हैं और उनकी सलामती के लिए प्रार्थना करती हैं।
3. *पारंपरिक महत्व*: जीवित्पुत्रिका पूजा एक पारंपरिक और धार्मिक अनुष्ठान है, जो पीढ़ियों से मनाया जा रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, ग्राम जमुहार (चुनार) में पक्के कुएं पर सैकड़ो वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार ग्राम की माताओं ने बड़े ही हर्ष और उत्साह से अपने बच्चों की लंबी उम्र और सलामती हेतु जीवित्पुत्रिका का निर्जला व्रत रखा और धूमधाम से पूजन किया। यह एक सुंदर और प्रेरणादायक दृश्य होगा, जिसमें माताएं अपने बच्चों के लिए प्रार्थना करती हैं और उनकी सलामती के लिए तपस्या करती हैं।
रिपोर्ट सत्यपाल सिंह
