जिले के भीतर थाना प्रभारियों का स्थानांतरण: वैधता और जनहित पर सवाल भारतीय मीडिया फाउंडेशन (नेशनल) आरटीआई सेल ने उठाई सवाल एक ही जिले में एक थाने से दूसरे थाने में स्थानांतरण जनहित के विरुद्ध

बृज बिहारी दुबे
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 जनहित में एके बिंदुसार ने दी अपनी प्रतिक्रिया








मिर्ज़ापुर, सोनभद्र: उत्तर प्रदेश के कई जिलों में, विशेषकर मिर्ज़ापुर और सोनभद्र जैसे जनपदों में, पुलिस विभाग द्वारा एक ही जिले के भीतर थाना प्रभारियों /थानाध्यक्षों के किए गए स्थानांतरण पर सवाल उठ रहे हैं। भारतीय मीडिया फाउंडेशन नेशनल कोर कमेटी की ओर से संस्थापक एवं वरिष्ठ संपादक एके बिंदुसार सहित कई लोगों का मानना है कि यह प्रक्रिया अवैध और न्यायसंगत नहीं है।
*क्या है मामला?*
पुलिस विभाग का तर्क है कि ये स्थानांतरण कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए किए गए हैं। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि अगर पारदर्शिता ही मुख्य उद्देश्य है, तो स्थानांतरण एक जिले से दूसरे जिले में होना चाहिए। एक ही जिले के भीतर, विशेषकर छोटे जिलों में, थाना प्रभारियों को एक ही क्षेत्र में बार-बार स्थानांतरित करने से स्थानीय स्तर पर उनके प्रभाव और संबंधों में कमी नहीं आती, बल्कि यह केवल सतही बदलाव लगता है।
स्थानांतरण की वैधता पर सवाल
भारतीय कानून के तहत पुलिस बल के स्थानांतरण की प्रक्रिया पुलिस विभाग की आंतरिक व्यवस्था का हिस्सा है। पुलिस अधिनियम, 1861 की धारा 4 पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति और नियंत्रण के बारे में बात करती है। हालांकि, यह अधिनियम सीधे तौर पर स्थानांतरण के विस्तृत नियम नहीं बताता, लेकिन यह पुलिस अधीक्षक (Superintendent of Police) को अपने जिले में पुलिस बल के प्रबंधन और नियंत्रण का अधिकार देता है। इसी अधिकार के तहत, वरिष्ठ अधिकारी प्रशासनिक सुविधा और बेहतर कार्यप्रणाली का हवाला देते हुए स्थानांतरण करते हैं।
इस संदर्भ में, एक ही जिले के भीतर किया गया स्थानांतरण तकनीकी रूप से वैध बताया जाता है, क्योंकि यह पुलिस विभाग के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र में आता हैं। लेकिन, इसे नैतिक रूप से और जनहित के दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए आलोचकों का मानना है कि यह जनहित के विरुद्ध एक ही जिले में एक थाने से दूसरे थाने पर पूरी तरह से अवैध स्थानांतरण है।
*जनहित को प्राथमिकता क्यों?*
  प्रभावशाली संबंधों पर नियंत्रण: एक ही जिले में लंबे समय तक रहने से पुलिस अधिकारी स्थानीय राजनेताओं, अपराधियों और अन्य प्रभावशाली लोगों के साथ संबंध बना लेते हैं। ऐसे में, उनका स्थानांतरण दूसरे जिले में करना अधिक प्रभावी होता है एवं जनहित में न्याय संगत है।
 निष्पक्षता और विश्वास: जनता को पुलिस की कार्यप्रणाली पर अधिक भरोसा तब होता है जब उन्हें लगता है कि अधिकारी किसी भी तरह के स्थानीय दबाव से मुक्त हैं। एक जिले से दूसरे जिले में स्थानांतरण इस विश्वास को मजबूत करता है।
 कार्यप्रणाली में सुधार: एक नए जिले में नए परिवेश और चुनौतियों के साथ काम करने से अधिकारियों की क्षमता में सुधार होता है और वे पिछली व्यवस्था के दबाव से बाहर निकल पाते हैं।

वर्तमान स्थानांतरण, हालांकि कानूनी तौर पर वैध बता कर पुलिस अधिकारी स्थानांतरण तो कर रहे हैं, पर ये जनहित में कम प्रभावी दिखाई देते हैं। सरकार को इन स्थानांतरणों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाते हुए जनहित को ध्यान में रखते हुए पुनर्विचार करना चाहिए और जनहित को ध्यान में रखते हुए स्थानांतरण नियमावली में बदलाव करने चाहिए। एक जिले से दूसरे जिले में स्थानांतरण की प्रक्रिया को प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके।
और जिले की वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की मनमानी पर रोक लगाई जा सकें।

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