उन्नाव में गंगाघाट का गगनीखेड़ा मोहल्ला गोलियों से गूंजा, 10 साल का अजीत मौत के घाट उतरा

बृज बिहारी दुबे
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उन्नाव गंगाघाट कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला गगनीखेड़ा में रविवार देर रात हुई अंधाधुंध फायरिंग ने एक परिवार की खुशियाँ उजाड़ दीं।
बेटी से छेड़छाड़ के विवाद ने इतनी भयावह शक्ल अख़्तियार कर ली कि निर्दोष 10 वर्षीय मासूम अजीत यादव को सीने पर गोली लग गई और उसने मौके पर ही दम तोड़ दिया।

मृतक अजीत दो बहनों का छोटा और इकलौता भाई था। पूरे मोहल्ले में मातम छा गया है और लोगों के दिलों में सवाल उठ रहा है— क्या यह मौत टाली जा सकती थी

छेड़छाड़ विवाद से उपजा खूनी खेल

गांव के ही एक युवक पर लड़की से छेड़छाड़ का आरोप था। कई दिनों से दोनों पक्षों में गाली-गलौज और तनाव का माहौल बना हुआ था।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस को पहले ही सूचना दी गई थी, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
रविवार रात करीब 10:30 बजे आरोपी युवक अपने साथियों के साथ युवती के घर पहुंचा। नशे में धुत होकर गाली-गलौज की और अचानक फायरिंग शुरू कर दी।

मासूम अजीत बना गोलियों का शिकार

फायरिंग के बीच शोर सुनकर पड़ोसी सोनू यादव का बेटा अजीत घर के बाहर खड़ा हो गया।

उसे क्या पता था कि विवाद देखने की जिज्ञासा उसकी जिंदगी छीन लेगी।
फायरिंग के दौरान चली एक गोली सीधे अजीत के सीने में जा धंसी।
परिजन आनन-फानन उसे जिला अस्पताल ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

पुलिस का देर से जागना

घटना के बाद गंगाघाट कोतवाली प्रभारी प्रमोद कुमार मिश्र मौके पर पहुंचे और जांच शुरू की।

मोहल्ले में तनाव देखते हुए पुलिस बल तैनात कर दिया गया।

एसपी दीपक भूकर ने घटनास्थल का निरीक्षण कर आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी के निर्देश दिए।

कोतवाल प्रमोद मिश्र ने बताया कि चार टीमें गठित की गई हैं।

आरोपियों के परिजनों को हिरासत में लेकर पूछताछ चल रही है।

ग्रामीणों का आक्रोश

मोहल्ले के लोगों का कहना है कि छेड़छाड़ और गाली-गलौज का विवाद कई दिनों से चल रहा था।

पुलिस अगर पहले ही कार्रवाई करती तो आज एक मासूम की जान बचाई जा सकती थी।

लोगों में गहरा आक्रोश है और मोहल्ला मातम में डूबा हुआ है।

जिम्मेदार कौन

क्या पुलिस की लापरवाही ने मासूम की जान ली

आखिर क्यों दबंगों को समय रहते नहीं रोका गया?

अजीत की मौत सिर्फ एक परिवार का ग़म नहीं, बल्कि पूरे समाज का सवाल है।

यह वारदात सिर्फ एक परिवार का दुःख नहीं है, बल्कि सिस्टम पर बड़ा सवाल खड़ा करती है—

कब तक निर्दोषों की बलि दबंगई और पुलिस की ढिलाई चढ़ती रहेगी


रिपोर्ट मनोज कुमार 

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