राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस, प्रेस की 'इमरजेंसी सोशल सर्विस' भूमिका, और सामाजिक कार्यकर्ताओं का अधिकार

बृज बिहारी दुबे
By -
एके बिंदुसार संस्थापक 
भारतीय मीडिया फाउंडेशन नेशनल कोरकमेटी नई दिल्ली।{भारतीय मीडिया फाउंडेशन का यह प्रयास यह स्थापित करता है कि प्रेस को अब केवल 'खबर देने वाला' नहीं, बल्कि 'सामाजिक परिवर्तन का एजेंट' बनना होगा। यह तभी संभव है जब मीडिया संस्थान अपनी स्वतंत्रता, निडरता और विश्वसनीयता बनाए रखें और हर रिपोर्ट को जनता के हित में एक 'सोशल सर्विस' का हिस्सा मानें}



भारतीय मीडिया फाउंडेशन (नेशनल) के संस्थापक एके बिंदुसार द्वारा प्रेस की भूमिका को "पब्लिक रिलेटेड इमरजेंसी सोशल सर्विस (PRESS)" के रूप में परिभाषित करना, पत्रकारिता के पारंपरिक दायित्वों को सामाजिक सेवा और लोक जवाबदेही की ओर ले जाता है। यह दृष्टिकोण न केवल प्रेस के महत्व को बढ़ाता है, बल्कि राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस के संदर्भ में पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की सुरक्षा एवं सम्मान के मुद्दे को भी केंद्र में लाता है।
I. 🗓️ राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस बनाम पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं का अधिकार
राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस (National Press Day), जो भारत में 16 नवंबर को मनाया जाता है, प्रेस की स्वतंत्रता और जिम्मेदारी का प्रतीक है। यह दिवस हमें प्रेस की निगरानी (Watchdog) की भूमिका की याद दिलाता है।
*तुलनात्मक पहलू  राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस (16 नवंबर) !*
 पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं का अधिकार, सम्मान, और सुरक्षा |
जमीनी स्तर पर काम करने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करने एवं जोखिम भरे माहौल में सत्य को उजागर करने वाले व्यक्तियों का संरक्षण। 
 जब प्रेस अपनी जिम्मेदारियाँ निभाता है, तो उसे सम्मान और सुरक्षा मिलनी चाहिए।  स्वतंत्रता के अधिकार को लागू करने के लिए सुरक्षा अनिवार्य है। 
सच्ची पत्रकारिता तभी फलेगी-फूलेगी जब सत्य उजागर करने वाले पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को सुरक्षा की गारंटी मिलेगी। उन्हें अक्सर भ्रष्टाचार, माफिया और सत्ता के दुरुपयोग को उजागर करने के लिए जान का खतरा उठाना पड़ता है। इसलिए, पत्रकारिता दिवस का वास्तविक उद्देश्य तभी पूरा होगा जब इन कार्यकर्ताओं का सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
II. 🚨 "प्रेस: पब्लिक रिलेटेड इमरजेंसी सोशल सर्विस" की अवधारणा
भारतीय मीडिया फाउंडेशन द्वारा दी गई PRESS (Public Related Emergency Social Service) की अनौपचारिक परिभाषा मीडिया की भूमिका को एक नया आयाम देती है।
A. PRESS की महत्वपूर्ण भूमिकाओं का सार:
  पब्लिक रिलेटेड (Public Related): मीडिया का केंद्रबिंदु हमेशा जनता से जुड़े मुद्दे और उनके सरोकार होने चाहिए। इसका अर्थ है, सनसनीखेज खबरों के बजाय जनहित के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना।
  इमरजेंसी (Emergency): मीडिया को संकट के समय त्वरित, विश्वसनीय और जीवन रक्षक जानकारी का स्रोत बनना चाहिए। यह न केवल प्राकृतिक आपदाओं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक "आपातकाल" (जैसे भ्रष्टाचार) के दौरान भी लागू होता है।
  सोशल सर्विस (Social Service): प्रेस का अंतिम लक्ष्य केवल खबर बेचना नहीं, बल्कि सूचना, शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से समाज की सेवा करना होना चाहिए।
B. लोकतंत्र की व्यवस्था सुधारने में 'सामाजिक सेवा' के रूप में प्रेस का महत्व:
प्रेस जब 'सोशल सर्विस' बन जाता है, तो वह केवल सूचना प्रदाता नहीं रहता, बल्कि लोकतंत्र का सुधारक बन जाता है:
 1. संकट काल में जीवन रक्षक सूचना: प्रेस, COVID-19 जैसी महामारियों या बाढ़ जैसी आपदाओं के दौरान सुरक्षित स्थानों, आवश्यक सेवाओं और सरकारी निर्देशों की तत्काल जानकारी देकर लाखों लोगों का जीवन बचाने वाली "इमरजेंसी सोशल सर्विस" प्रदान करता है।
  2. वंचितों की आवाज़ और सामाजिक न्याय: यह 'पब्लिक रिलेटेड' भूमिका के तहत हाशिए पर पड़े और वंचितों के मुद्दों को उजागर करता है, जिससे सामाजिक बुराइयों पर सरकारी और सामाजिक ध्यान जाता है। यह जवाबदेही (Accountability) सुनिश्चित करता है।
  3. पारदर्शिता और भ्रष्टाचार उन्मूलन (प्रहरी से सेवक): प्रेस की निगरानी (Watchdog) भूमिका यहाँ 'सर्विस' बन जाती है। भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग को उजागर करके, यह सार्वजनिक धन की सुरक्षा करता है, जो जनता के लिए सबसे बड़ी सामाजिक सेवा है।
III. 🖋️  भ्रष्टाचार उन्मूलन और 'सोशल सर्विस' के रूप में प्रेस
भारतीय मीडिया फाउंडेशन (नेशनल) द्वारा महामहिम राष्ट्रपति महोदया को 'भ्रष्टाचार उन्मूलन एवं लोक जवाबदेही नियमावली' लागू करने बाबत भेजा गया ज्ञापन, प्रेस की सक्रिय 'सोशल सर्विस' भूमिका का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
A. भ्रष्टाचार उन्मूलन की मांग और प्रेस का दायित्व:
  सूचना का प्रसार: नियमावली लागू होने पर, प्रेस का दायित्व है कि वह इसकी बारीकियों और लाभों को हर नागरिक तक पहुँचाए, जिससे नागरिक सशक्त हों।
  सतत निगरानी: मीडिया को केवल मांग तक सीमित न रहकर, सरकारी विभागों द्वारा नियमावली के ईमानदार अनुपालन पर निरंतर रिपोर्टिंग और निगरानी करनी होगी।
 व्हिसलब्लोअर का संरक्षण: भ्रष्टाचार उजागर करने वाले व्यक्तियों की आवाज़ को मंच प्रदान करना और उनका संरक्षण सुनिश्चित करना, प्रेस की सबसे बड़ी सामाजिक सेवा है।
B. 'इमरजेंसी सोशल सर्विस': लोकतंत्र में हस्तक्षेप:
चूँकि भ्रष्टाचार लोकतंत्र के लिए एक 'आपातकाल' (Emergency) है, जो समाज के कमज़ोर वर्गों के अधिकारों को छीन लेता है, इसलिए प्रेस को त्वरित और सक्रिय हस्तक्षेप करना चाहिए:
  त्वरित रिपोर्टिंग: भ्रष्टाचार के मामलों को तत्काल और निडरता से उजागर करना।
 तथ्यों की शुद्धता: सनसनीखेज रिपोर्टिंग से बचकर, ठोस सबूतों पर आधारित रिपोर्टिंग करना ताकि कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित हो।
  जनमत निर्माण: भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक सशक्त और एकीकृत जनमत तैयार करना, जो नीति-निर्माताओं को आवश्यक कार्रवाई के लिए बाध्य करे।

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