छठ पूजा: सूर्य उपासना का महाअपर्व - उद्यम सिंह नगर में उल्लास पूर्वक आयोजन की पूर्ण तैयारी

बृज बिहारी दुबे
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रिपोर्ट कृष्ण माधव मिश्रा 

उत्तराखंड उद्यम सिंह नगर में छठ महापर्व का उल्लास उत्तराखंड के उद्यम सिंह नगर में लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का उल्लास चरम पर है। सूर्य देव और छठी मैया की उपासना के इस पावन पर्व के सुचारू आयोजन के लिए तैयारियां जोरों पर हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं के सहयोग से नमक फैक्ट्री छठ घाट पर साफ-सफाई और सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा रही हैं।
 छठ पूजा का महत्व: आस्था और प्रकृति का संगम
छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया (प्रकृति देवी) की उपासना का महापर्व है, जो लोक आस्था और पवित्रता का प्रतीक है। यह पर्व निम्नलिखित चार दिनों तक चलता है:
  नहाय-खाय: पर्व की शुरुआत, जिसमें शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
  खरना: इस दिन व्रती (व्रत रखने वाले) खीर का प्रसाद ग्रहण करते हैं।
 संध्या अर्घ्य: डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
 उषा अर्घ्य: उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पर्व का समापन होता है।
 सामाजिक कार्यकर्ताओं की सक्रिय पहल
छठ घाट पर आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सक्रिय भूमिका निभाई है:
 श्री संजीव कुमार सिंह: भारतीय जनता पार्टी, उत्तराखंड के कार्यकर्ता ने छठ घाट की साफ-सफाई अभियान में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की।
 श्री वीरेंद्र कुमार वर्मा: प्रदेश अध्यक्ष, भारतीय मीडिया फाउंडेशन (नेशनल), उत्तराखंड और छठ कमेटी, उद्यम सिंह नगर ने समस्त आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
 घाट पर की गईं प्रमुख व्यवस्थाएं
श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए छठ घाट पर निम्नलिखित पुख्ता इंतजाम किए गए हैं:
 स्वच्छता अभियान: छठ घाट पर व्यापक साफ-सफाई का अभियान चलाकर घाट को पूरी तरह स्वच्छ किया गया है।
  प्रकाश व्यवस्था: व्रतियों और श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु घाट पर पर्याप्त और उचित प्रकाश व्यवस्था की गई है।
 सुरक्षा इंतजाम: किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम सुनिश्चित किए गए हैं।
 बुनियादी सुविधाएं: श्रद्धालुओं के लिए पेयजल और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था भी की गई है।
 छठ पूजा का संदेश: प्रकृति संरक्षण और सौहार्द
छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह समाज को एक गहरा संदेश देती है:
 प्रकृति के प्रति कृतज्ञता: यह पर्व हमें प्रकृति, विशेष रूप से सूर्य और जल स्रोतों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना सिखाता है।
 स्वच्छता का महत्व: पर्व की प्रक्रिया में स्वच्छता पर जोर दिया जाता है, जो हमें पर्यावरण को साफ रखने के लिए प्रेरित करता है।
  सामाजिक सौहार्द: यह पर्व सभी जाति और समुदायों के लोगों को एक साथ लाकर सामाजिक सौहार्द को मजबूत करता है।

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