अयोध्या सिस्टम का मोतियाबिंद।-*
अयोध्या जनपद के खंडासा थाना क्षेत्र में इस समय दबंगों पर खंडासा पुलिस जमकर मेहरबान है। बताते चलें कि गत दिनांक -25/10/2025 को मिल्कीपुर तहसील क्षेत्र के खंडासा थाना क्षेत्र के अटेसर गांव में राममिलन पांडेय व नकछेद मिश्र के मध्य का जमीनी विवाद का मामला थाना समाधान दिवस पहुंचा जिसके संबंध में हल्का लेखपाल व पुलिस टीम मौके पर पहुंची चकमार्ग गाटा संख्या 221 पर राममिलन पांडेय द्वारा किए गए अस्थाई कब्जे को हटवाया गया, जिसमें नांद लकड़ी आदि शामिल थे।नकछेद मिश्रा पुत्र काशीराम की सहमति से गाटा संख्या -223 को चिन्हित किया गया विदित हो कि गाटा संख्या -223 की 2013 में पक्की पैमाइश हुई थी, न्यायालय उपजिलाधिकारी मिल्कीपुर के आदेश पर नकछेद मिश्रा द्वारा पक्की बाउंड्री वॉल बनाकर पहले से ही कब्जा कर लिया गया था। और गाटा संख्या -222 में राम मिलन पांडेय द्वारा निर्माण कार्य कराया जा रहा था,जो कि राममिलन पांडेय की ही जमीन है, लेकिन उपस्थित पुलिस टीम ने पता नहीं क्यों पीड़ित राममिलन पांडेय की दस फिट लंबी तथा साढ़े छे: फिट ऊंची दीवार पुलिस ने गिरवा दिया।इस संबंध में सीओ व उपजिलाधिकारी मिल्कीपुर से पत्रकारों ने वार्ता किया तो दोनों अधिकारियों का जवाब तो संतोष जनक रहा लेकिन ये संतोष जनक जवाब केवल फोन वार्ता तक सीमित रहा हकीकत यह है कि पांच दिनों का समय बीत जाने के बाद भी पीड़ित पक्ष की ओर से हमदर्दी जताने के लिए भी कोई जिम्मेदार अधिकारी/कर्मचारी इस नीयति से मौके पर नहीं पहुंचा की पीड़ित परिवार को न्याय दिला सके। जबकि जिले से लेकर डीजीपी व राज्य मानवाधिकार आयोग उत्तर प्रदेश तक से शिकायत हो चुकी है। सोचनीय विषय है कि पुलिस की नाक के नीचे एक पीड़ित की दीवार गिराई गई और पुलिस खडी देखती ही नहीं रही बल्कि पीड़ित राममिलन पांडेय की तहरीर के अनुसार पुलिस जवानों ने पीड़ित के घर की महिलाओं के साथ इस कदर बदतमीजी की यहां वर्णन करना ठीक नहीं है। फिलहाल सूत्रों की मानें तो खंडासा पुलिस पहले भी राममिलन पांडेय के विरोधी पर मेहरबान थी और आज भी है।अब सोचनीय विषय यह है कि जिस पुलिस विभाग पर कानून का अनुपालन कराने तथा आम जनता की सुरक्षा का भार है उसी की मौजूदगी में एक पीड़ित की दीवार गिराई गई घर की महिलाओं के साथ घोर अभद्रता हुई जिसमें पुलिस जवान भी शामिल हैं, तो आज के समय में जब पुलिस ही साथ न दे तो भरोसा किस पर पर किया जाए आमजनता की सुरक्षा करने न मुख्यमंत्री जी आएंगे और न ही डीजीपी महोदय आएंगे केवल आदेश ही देंगे लेकिन जिनको आदेश/निर्देश का अनुपालन कराना है वे ही नेत्रहीन हो जाएं तो किसका सहारा लिया जाए। राममिलन पांडेय के विरोधीयों का आरोप हैं कि राममिलन पांडेय गांव के 40 घरों के लोगों के आने जाने का रास्ता बंद कर रहे हैं जबकि हकीकत यह है कि जिस रास्ते को बंद करने का आरोप राममिलन पांडेय पर लगाया जा रहा है ओ रास्ता खुला है और उसका कोई विवाद ही नहीं है ,40 घरों का रास्ता सुरक्षित है विवाद तो मात्र दो घरों नकछेद व देवनारायन मिश्रा के रास्ते का है तो नियम और कानून यह कहता है कि किसी की निजी जमीन से भूमधर की सहमति की बिना रास्ता नहीं निकाला जा सकता है। जबकि सूत्रों की मानें तो उन दोनों घरों के रास्ते का भी विवाद नहीं है अर्थात यहां झगड़ा नहीं रगड़ा है और स्थानीय पुलिस को इन दोनों विवादित लोगों के भविष्य की चिंता नहीं है यदि पुलिस चाहती तो दीवार गिराने तक मामला जाता ही नही और समझौता पुलिस के सामने ही हो गया होता।
