अयोध्या जनपद के खंडासा थाना क्षेत्र के अटेसर गांव का मामला कई दिनों से हाईलाइट है मीडिया/सोशल मीडिया पर ख़बरें पढ़ने और देखने को मिल रही हैं, मामला राममिलन पांडेय व नकछेद मिश्रा के बीच का जमीनी विवाद है गाटा संख्या -223 नकछेद मिश्रा के नाम दर्ज है जिस पर पूर्व में हदबरारी कराके पक्की पैमाइश के बाद नकछेद मिश्रा ने कब्जा कर रखा,गाटा संख्या -222 राममिलन पांडेय के नाम बाग के रूप में दर्ज जमीन है, तो गाटा संख्या -221 चकमार्ग है जिस पर अवैध कब्जे को लेकर तहसील न्यायालय में वाद संख्या -6157/2024 धारा -67राजस्व संहिता 2006 राममिलन पांडेय व नकछेद मिश्र प्रतिवादी विचाराधीन है,उधर राम मिलन पांडेय की तरफ से उक्त वाद से असंतुष्ट होने का मामला भी विचाराधीन बताया जा रहा, दौराने मुकदमा पैमाइश रोके जाने हेतु राममिलन पांडेय की ओर से शिक़ायत भी की गई थी। राममिलन पांडेय को गाटा संख्या -222 जो उनके नाम बाग के रूप में दर्ज है से बेदखल करने की कोशिश विपक्षी नकछेद मिश्रा द्वारा पुलिस से मिलकर की जा रही है, वर्तमान में मामला इतना बढ़ा की डीजीपी और मानवाधिकार आयोग तक पहुंच गया, सूत्रों की मानें तो हाल ही में थाना समाधान दिवस के दिन पुलिस की मौजूदगी में राममिलन पांडेय की दीवार विपक्षियों द्वारा गिराई गई जिसका सीसीटीवी फुटेज भी देखने को मिल रहा है, मामला चकमार्ग का लेकिन इसमें दोनों पक्षों की नासमझी के कारण एक पक्ष जरुरत से ज्यादा प्रताड़ित हो रहा है पीड़ित/प्रताड़ित राममिलन पांडेय व उनका परिवार है जो अपने ही घर न रह पाने को मजबूर है घर पर मकान बिकाऊ है खरीदारी के लिए खंडासा पुलिस से संपर्क करें तक का नोटिस चस्पा है जिसे पीड़ित ने ही हतास होकर चस्पा किया है। उधर राममिलन पांडेय के पुत्र राम सुफल पांडेय जो भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारी हैं कि पुरानी फोटो को विपक्षियों के सहबरदारों द्वारा वायरल कर उन्हें सपाई क़रार देने की कोशिश भी की जा रही है।
*आज देखने को मिली एक खबर तो ऐसा लगा कि जैसे राममिलन पांडेय ही हैं सबसे बड़े दोषी, इसलिए बिना गहराई तक पहुंचे किसी मामले की खबर उजागर करना न्याय संगत नहीं है क्यों कि लोग अपनी कमियां छुपाते हैं*
दीवार गिरवाना घर की महिलाओं के साथ बदतमीजी करना ये सब आरोप राममिलन पांडेय द्वारा खंडासा पुलिस पर लगाया गया है कोई भी ब्यक्ति इतना बड़ा अनर्गल आरोप ऐसे तो नहीं लगा देगा मामले की शिकायत पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश व मानवाधिकार आयोग उत्तर प्रदेश तक से हो चुकी है मतलब एक गांव से मामला राजधानी तक पहुंच गया लेकिन जिला व तहसीलदार प्रशासन अभी तक नहीं जगा इस संबंध में एक पत्रकार ने उपजिलाधिकारी मिल्कीपुर से वार्ता करने की कोशिश भी की किन्तु साहब का फोन रिसीव नहीं हुआ यद्यपि इससे पूर्व में उपजिलाधिकारी मिल्कीपुर व सीओ मिल्कीपुर ने उचित कार्यवाई व समाधान का आश्वासन दिया था लेकिन सच यह है कि आश्वासन आश्वासन तक सीमित रहा अभी तक किसी उच्चाधिकारी ने मौके पर जाने तक जहमत नहीं उठाई तो समाधान असंभव है,सच तो यह है कि जमीनी प्रकरण राजस्व विभाग से ही संबंधित है और तहसील प्रशासन चाहे तो इसका तत्काल समाधान संभव है लेकिन ये भी सच है कि कोई जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी निभाने की कोशिश ही नहीं करता। थाना समाधान दिवस में शिकायत के बाद लेखपाल द्वारा दी गई स्पॉट मेमो के अनुसार राममिलन पांडेय द्वारा गाटा संख्या -221 पर जो कब्जा किया था उसे बेदखल भी किया गया, तथा नकछेद मिश्रा द्वारा गाटा संख्या -223 पर काबिज होने की बात भी दर्शाई गई है, इसके अलावा गाटा संख्या -221 व 222 संयुक्त है जबकि नकछेद मिश्रा द्वारा गाटा संख्या -223 पर 28 मीटर के स्थान पर 30 मीटर की चौड़ाई में मौके पर कब्जा पाया गया, और चकमार्ग गाटा संख्या -221 तीन मीटर की चौड़ाई में नकछेद मिश्रा की बाउंड्री तक खाली कराया गया,उधर मेमो में यह भी दर्शाया गया है कि राममिलन पांडेय द्वारा 24 मीटर के स्थान पर 22.70 मीटर कब्जा पाया गया, उपरोक्त सभी सजरा के आधार पर लिखा गया है, तीन मीटर चौड़ाई में उत्तर दक्षिण रास्ते में दोनों पक्षों द्वारा स्थाई अथवा अस्थाई अतिक्रमण नहीं किया जाएगा इसकी भी सख्त चेतावनी दी गई बावजूद इसके नकछेद मिश्रा द्वारा पुलिस टीम के साथ राममिलन पांडेय व उनके परिवार के साथ ज्यादती की गई जो न्याय संगत नहीं है यूं तो समाचार सूत्रों पर आधारित है लेकिन कुछ तो गडबड झाला ज़रूर है वर्ना राममिलन पांडेय को पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश व मानवाधिकार आयोग का दरवाजा नहीं खटखटाना पड़ता, प्रकरण की गहन जांच व जो भी दोषी हों उनपर प्रभावी कार्यवाही की आवश्यकता है, फिलहाल मामला अधिकारियों के पाले में है लेकिन यह तो साफ हो गया है कि प्रकरण कुछ और है और विपक्षी नकछेद मिश्रा द्वारा कुछ और बताकर शासन/ प्रशासन को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है।
